अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि का अनुमान 9.5 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया है। कोविड महामारी की नई लहर ओमीक्रोन के अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर की वजह से ऐसा किया गया है। बहरहाल वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बहुपक्षीय एजेंसी ने देश की जीडीपी वृद्धि का अनुमान पहले के 8.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया है।
अपनी हाल की विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में आईएमएफ ने कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए वैश्विक वृद्धि क् अनुमान भी डब्ल्यूईओ रिपोर्ट अक्टूबर के 4.9 प्रतिशत की तुलना में घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है।
आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भी भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान अक्टूबर के 6.6 प्रतिशत की तुलना में बढ़ाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया है।
आईएमएफ ने कहा, ‘प्रमुख बदलावों में महामारी वजह नहीं है, बल्कि भारत के 2023 (वित्त वर्ष 22-23) में उम्मीद से बेहतर कर्ज में वृद्धि और निवेश व खपत में वृद्धि को देखते हुए किया गया है, जो वित्तीय क्षेत्र में अनुमानित प्रदर्शन से बेहतर रहने की उम्मीद है।’
इसमें कहा गया है कि हाल के अनुमानों में कोविड की तीसरी लहर को शामिल किया गया है और अक्टूबर के अनुमान में पहले ही दूसरी लहर का ध्यान रखा गया था। कैलेंडर वर्ष के आधार पर इसमें अनुमान लगाया गया है कि 2022 में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.7 प्रतिशत रहेगी और 2023 में 6.6 प्रतिशत रहेगी।
आईएमएफ ने आज अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था ने 2022 में पहले के अनुमान की तुलना में कमजोर हालत में प्रवेश किया। कोविड-19 की नई किस्म ओमीक्रोन के फैलने से तमाम देशों ने नए सिरे से आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिए। ऊर्जा की कीमत में वृद्धि और आपूर्ति में व्यवधान के कारण ज्यादा और व्यापक स्तर पर महंगाई बढ़ी, जो उम्मीद से ज्यादा थी। खासकर अमेरिका व तमाम उभरते व विकासशील देश बढ़ती महंगाई की चपेट में आए हैं।’
ब्रेटन वुड्स इंस्टीट्यूशन ने कहा कि वैश्विक वृद्धि 2021 के 5.9 प्रतिशत की तुलना में 2022 में 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो अक्टूबर के 2022 के अनुमान की तुलना में आधा प्रतिशत कम होगा। इस पर अमेरिका व चीन की सुस्ती का असर नजर आ रहा है।
अमेरिका के लिए आईएमएफ ने 2022 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 1.2 प्रतिशत कम कर दिया है। अमेरिका की राजकोषीय पॉलिसी पैकेज खत्म होने के अनुमान की वजह से किया गया है। इसके पहले मौद्रिक समावेशन वापस लिया गया था और आपूर्ति की कमी भी बनी हुई है।
आईएमएफ ने कहा, ‘चीन में महामारी के कारण आए व्यवधान और कोविड-19 के प्रति जीरो टॉलरेंस, प्रॉपर्टी डेवलपरों की खराब स्थिति को देखते हुए वृद्धि दर 0.8 प्रतिशत कम की गई है। ‘ अब 2022 में चीन की अर्थव्यवस्था में 4.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
आईएमएफ ने कहा, ‘2023 में वैश्विक वृद्धि दर सुस्त होकर 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि पहले के अनुमान की तुलना में यह 0.2 प्रतिशत ज्यादा है, लेकिन यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से मैकेनिकल तेजी की वजह से है।’
एजेंसी ने कहा है कि बढ़ी हुई महंगाई दर पहले के अनुमान की तुलना में लंबे समय तक बनी रह सकती है, क्योंकि 2022 में आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और ऊर्जा की कीमतों में तेजी बनी हुई है।
