चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उम्मीद से कम रही। पहले के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों में संशोधन, विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में लगातार दूसरी तिमाही में कमी आने तथा उपभोक्ता मांग नरम रहने से दिसंबर तिमाही में जडीपी वृद्धि दर 4.4 फीसदी रही।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा इस महीने की शुरुआत में 41 पेशेवशरों के साथ कराए गए सर्वेक्षण में दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर औसतन 4.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि आरबीआई ने अपने अनुमान में जीडीपी की वृद्धि दर 4.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में नॉमिनल जीडीपी 272 लाख करोड़ रुपये रह सकती है। पहले अग्रिम अनुमान में इसके 273 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद जताई गई थी।
हालांकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने मार्च तिमाही में 5.1 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाते हुए वित्त वर्ष 2023 के वृद्धि अनुमान को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि पिछले तीन साल के दौरान सालाना जीडीपी वृद्धि दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई थी, जो महामारी का अर्थव्यवस्था पर अनुमान से कम असर का संकेत देता है।
बुनियादी कीमतों पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी बढ़ा है, जो जीडीपी वृद्धि 4.4 फीसदी से अधिक है। इससे शुद्ध प्रत्यक्ष कर में कमी का संकेत मिलता है।
क्रिसिल में प्रधान अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे ने कहा कि दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर में कमी बाहरी और घरेलू कारकों की वजह से आई है।
उन्होंने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर उत्पादों की मांग घटी है, जिसका असर दूसरी तिमाही से ही देश के निर्यात और औद्योगिक वृद्धि पर दिखने लगा था। दूसरी तरफ तीसरी तिमाही में घरेलू खपत मांग की रफ्तार भी घटी है जबकि बीते कुछ तिमाहियों में इसमें काफी तेजी आई थी। खास तौर पर उन क्षेत्रों में जो महामारी के बाद पिछड़ रहे थे।’
कोविड से पहले के स्तर से वृद्धि में अपेक्षाकृत इजाफा हुआ था और दिसंबर तिमाही में यह बढ़कर 11.6 फीसदी हो गया जो सितंबर तिमाही में 9.4 फीसदी था, जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में असामान्य सुधार का संकेत देता है।
दिसंबर तिमाही में बढ़ती लागत के कारण कंपनियों के मुनाफा मार्जिन पर दबाव बढ़ने से विनिर्माण गतिविधियों में 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सेवा क्षेत्र के तीन सेगमेंट : व्यापार, होटल और परिवहन, रियल एस्टेट तथा लोक प्रशासन में 6.2 फीसदी की वृद्धि देखी गई। हालांकि इसकी रफ्तार थोड़ी कम हुई है। कृषि उत्पादन 3.7 फीसदी बढ़ा है।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में निजी अंतिम खपत व्यय या निजी व्यय में वृद्धि घटकर 2.1 फीसदी रह गई जो सितंबर तिमाही में 8.8 फीसदी बढ़ा था। सरकारी व्यय में लगातार दूसरी तिमाही में कमी आई है।
केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि आगे वाले समय में बाह्य मांग की स्थिति कमजोर बनी रह सकती है, ऐसे में घरेलू मांग को बढ़ावा देने की जरूरत है।