facebookmetapixel
सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए अपनाया नया रुख, टैक्स छूट पर जोरCCIL: सरकारी बॉन्ड और विदेशी मुद्रा बाजार को आम लोगों तक पहुंचाने की पहलEditorial: जीएसटी अपील पंचाट शुरू, टैक्स विवाद सुलझाने में आएगी तेजीदेश के वाणिज्यिक पंचाटों में 3.56 लाख मामले लंबित, 24.72 लाख करोड़ रुपये फंसेरिवाइज्ड कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी नियमों में छोटी, हाइब्रिड कारों को रियायतCMF ने ऑप्टिमस इन्फ्राकॉम के साथ संयुक्त उद्यम बनायासितंबर में आईपीओ बाजार गुलजार, 1997 के बाद सबसे ज्यादा निर्गमथॉमस कुक इंडिया ने ब्लिंकइट के साथ की साझेदारी, अब बॉर्डरलेस मल्टी करेंसी कार्ड मिनटों में घर पर मिलेगाभारत-अमेरिका वार्ता: रूसी तेल और व्यापार समझौते पर व्यापक समाधान की तलाशवर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ₹1 लाख करोड़ से अधिक निवेश की उम्मीद: चिराग पासवान

Budget 2025: आर्थिक सुधार को बढ़ावा दे सरकार, अर्थशास्त्रियों ने दिए सुझाव

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में खपत, विनिर्माण और रोजगार को बढ़ावा देने वाले सुधार के उपायों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

Last Updated- January 07, 2025 | 8:45 PM IST
Growth

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कमजोर आर्थिक वृद्धि दर के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने की मांग उठने लगी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में खपत, विनिर्माण और रोजगार को बढ़ावा देने वाले सुधार के उपायों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर कम होकर 5.4 प्रतिशत रह गई जो पिछली सात तिमाहियों का निम्नतम स्तर है।

डेलॉयट इंडिया में अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार कहती हैं, ‘हमें लगता है कि कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के प्रयासों पर सरकार की नजरें लगातार टिकी रहेंगी। इससे भारत में युवाओं की ताकत का लाभ उठाने, मांग एवं आपूर्ति को गति देने और आय बढ़ाकर खपत मजबूत करने में मदद मिलेगी।’

इस साल जुलाई में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोजागार संबंधी प्रोत्साहनों और इंटर्नशिप कार्यक्रमों जैसे उपायों की घोषणा की थी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आगामी बजट में एमएसएमई खंड के लिए समर्थन के उपाय और निर्यात की संभावनाओं एवं अत्यधिक श्रम की जरूरत वाले औद्योगिक संकुलों के लिए खास इंतजाम जारी रखने होंगे।

केयरएज में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा कहती हैं, ‘मेरा मानना है कि खपत बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ प्रोत्साहनों की घोषणा करनी चाहिए। वित्त मंत्री पिछले बजट में किए सुधार के कुछ उपायों को आगामी बजट में भी पूरी शिद्दत के साथ जारी रखेंगी।’

आयकर कानूनों की भी व्यापक समीक्षा होने की चर्चा तेज है। अर्थशास्त्रियों को लगता है कि खपत बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री को करों में रियायत देनी चाहिए। अर्थशास्त्रियों के अनुसार इससे लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक रकम आएगी।पूंजी सृजन में कमी, खपत में सुस्ती और प्रतिकूल मौसम के कारण दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर को तगड़ी चोट पहुंची है।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहते हैं, ‘हमें विभिन्न कर दायरों में करों में कुछ रियायत देनी चाहिए। यह देश में खपत में तेजी लाएगी क्योंकि पिछले कुछ समय से यह अर्थव्यवस्था की एक कमजोर कड़ी रही है। निवेश बढ़ाने और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को पूंजीगत व्यय बढ़ाने से जुड़े उपायों पर भी ध्यान देना चाहिए।’

इससे पहले वित्त मंत्रालय के साथ बजट पूर्व चर्चा में अर्थशास्त्रियों में इस पर मतभेद थे कि सरकार को उपभोक्ता मांग आधारित विकास या निवेश एवं निर्यात आधारित वृद्धि का विकल्प चुनना चाहिए।

अर्थशास्त्रियों के अनुसार कुछ बड़े सुधारों में व्यापार सुगम बनाने के लिए सीमा शुल्क संरचना में संशोधन कर इसे अधिक तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए। अर्थशास्त्रियों के अनुसार ड्यूटी इन्वर्जन और विवादों में कमी जैसे उपायों पर भी सरकार कदम आगे बढ़ा सकती है। बजट में वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव के जोखिम को भी ध्यान में रखा जा सकता है।

Budget: क्या आप प्लास्टिक उत्पाद कारोबारी हैं, तो पढ़िए बजट में वित्तमंत्री से क्या मांग है आप लोगों के लिए..

 

First Published - December 29, 2024 | 11:54 PM IST

संबंधित पोस्ट