केंद्र सरकार ने बुधवार को म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम (MCGS-MSME) को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) को बढ़ावा देना है। यह योजना, पिछले बजट में किए गए वादे को पूरा करती है और 2025 के केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले इसे लागू किया गया है।
60% गारंटी कवर के साथ मिलेगा बड़ा कर्ज
इस योजना के तहत MSMEs को 100 करोड़ रुपये तक के लोन पर 60% गारंटी कवर दिया जाएगा। यह लोन मुख्य रूप से प्लांट, मशीनरी और इक्विपमेंट खरीदने के लिए दिया जाएगा।
Mutual Credit Guarantee Scheme से MSMEs को मिलेगा बड़ा फायदा
जिन MSMEs का वैलिड उद्योग रजिस्ट्रेशन नंबर (Udyam Registration Number) है, वे इस योजना के तहत कोलेटरल-फ्री लोन का लाभ उठा सकते हैं। योजना में 75% लोन का उपयोग मशीनरी या इक्विपमेंट पर करना अनिवार्य होगा, जिससे MSMEs अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सक्षम होंगी।
50 करोड़ रुपये तक के लोन पर अधिकतम 8 साल की रीपेमेंट अवधि दी जाएगी, जिसमें 2 साल तक प्रिंसिपल पेमेंट पर मोहलत (moratorium) भी मिलेगी। बड़े लोन के लिए यह अवधि और अधिक बढ़ाई जा सकती है। गारंटी आवेदन के समय MSMEs को लोन राशि का 5% अपफ्रंट जमा करना होगा। योजना के तहत पहले साल गारंटी शुल्क माफ रहेगा, जबकि अगले तीन साल तक 1.5% प्रति वर्ष और उसके बाद 1% प्रति वर्ष शुल्क लगेगा।
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वित्त मंत्रालय के मुताबिक, यह योजना मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी, जो फिलहाल GDP में 17% का योगदान देता है और 2.73 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। सरकार इस योजना से मैन्युफैक्चरिंग का योगदान बढ़ाकर 25% करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा MSMEs को कोलेटरल-फ्री लोन के रूप में मिलेगा, जिससे वे अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था में तेज ग्रोथ लाने में मददगार बनेंगी। योजना अगले 4 साल तक या 7 लाख करोड़ रुपये की गारंटी जारी होने तक प्रभावी रहेगी।