इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च ने आज कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 और देशबंदी की वजह से भारत का 2020-21 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.3 प्रतिशत नीचे जाने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ‘भारत के इतिहास में यह न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर होगी और यह छठवां आर्थिक संकुचन होगा। इसके पहले वित्त वर्ष 58, वित्त वर्ष 66, वित्त वर्ष 67, वित्त वर्ष 73 और वित्त वर्ष 80 में संकुचन हुआ था।’ इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि नॉमिनल जीडीपी में इस साल संकुचन 3.4 प्रतिशत होगा और सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) 5.5 प्रतिशत सिकुड़ेगा।
एजेंसी ने कहा है, ‘कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई समस्या की वजह से उत्पादन में बाधा पहुंची है और आपूर्ति शृंखला बाधित हुई है। वहीं उड्डयन, पर्यटन, होटल और आतिथ्य सत्कार क्षेत्रों में कोई गतिविधि नहीं हुई और इसमें पूरे वित्त वर्ष 21 में स्थिति सामान्य होने की संभावना नहीं नजर आ रही है।’
इसमें कहा गया है, ‘परिणामस्वरूप पूरे साल के दौरान संकुचन के अलावा वित्त वर्ष 21 की हर तिमाही में जीडीपी में संकुचन आएगा। बहरहाल एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 22 में जीडीपी वृद्धि दर 5 से 6 प्रतिशत हो जाएगी। इसकी प्रमुख वजह आधार का असर और घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था सामान्य होना होगी।’
वित्त वर्ष 22 के लिए अनुमान अन्य अनुमानों की तुलना में बहुत कम रखा गया है। कुछ अनुमानों में उम्मीद जताई गई है कि आधार कम रहने के कराण जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 22 में 8 से 9 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रह सकती है। इसके साथ ही सरकार अभी भी उम्मीद कर रही है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि रफ्तार पकड़ेगी।हालांकि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से सहमत है कि इस साल अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी।