वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने क्रिप्टो संपत्तियों के नियमन के लिए जी 20 के वित्त प्रतिनिधियों के सम्मेलन के पहले सदस्य देशों को सिंथेसिस पेपर दिए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस पेपर में क्रिप्टो के नियमन को लेकर नीतिगत तरीकों और देशों के लिए एक समग्र खाका है। उम्मीद की जा रही है कि इसे 7 सितंबर को सार्वजनिक किया जाएगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक इस पेपर में देशों के लिए नीतिगत दृष्टिकोण और एक व्यापक खाका तैयार किया गया है और इसे 7 सितंबर को सार्वजनिक किए जाने की उम्मीद है।
जी 20 देशों के वित्त प्रतिनिधियों की बैठक इस सप्ताह 6 सितंबर को होगी और नेताओं के शिखर सम्मेलन की तैयारी में ऋण के दबाव और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे मसलों पर चर्चा होगी।
भारत को अगले 3 साल के लिए ग्लोबल पार्टनरशिप फार फाइनैंशियल इनक्लूजन (जीपीएफआई) में इटली के साथ सह अध्यक्ष चुना गया है। जीपीएफआई जी 20 देशों, गैर जी-20 देशों और संबंधित हिस्सेदारों का समावेशी प्लेटफॉर्म है, जिसे वित्तीय समावेशन के काम को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
क्रिप्टो परिसंपत्तियों के नियमन पर जुलाई में जारी शुरुआती रिपोर्ट में एफएसबी ने कई कदमों के सुझाव दिए थे, जिसमें डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग, देशों के बीच सहयोग, एक सरकारी ढांचा और प्राधिकारियों को नियामक अधिकार दिया जाना शामिल है। एफएसबी रिपोर्ट में जहां वित्तीय स्थिरता के जोखिम को शामिल किया गया है, लेकिन क्रिप्टो को लेकर भारत की प्रमुख चिंता का समाधान नहीं किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें क्रिप्टो परिसंपत्ति से जुड़े सभी खास जोखिम श्रेणियों को शामिल नहीं किया गया है, जिसमें धन शोधन रोकना, आतंकवाद के लिए धन जुटाने की स्थिति से मुकाबला करना, डेटा की गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, उपभोक्ताओं और निवेशकों की सुरक्षा, बाजार की अखंडता, प्रतिस्पर्धा नीति, कराधान, मौद्रिक नीति और मौद्रिक संप्रभुता प्रमुख है।
तमाम मसलों में ऋण के दबाव के मसले पर आम राय बनाई जानी है। साथ ही यह देखना है कि क्या कर्ज के समाधान को लेकर कोई सख्त समयसीमा तय करने की जरूरत है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘इस मोड़ पर कुछ देश बहुत तेजी से और बहुत व्यापक संभावना के हिसाब से काम करना चाहेंगे। इस दिशा में काम किए जाने को लेकर देशों के बीच बहुत तीब्र इच्छा है। लेकिन सवाल महत्त्वाकांक्षा के स्तर और समयसीमा को लेकर है। इस पर सहमत होना कठिन है।’
जी 20 देशों के नेताओं के सम्मेलन में बहुपक्षीय विकास बैकों में सुधार के कुछ मसलों पर भी चर्चा होने की संभावना है। इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि बेहतर परिणाम के लिए पूंजी का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाए, वहीं परिचालन में सुधार और अन्य संसाधनों से धन जुटाने की जरूरत पर भी चर्चा चल रही है।
सूत्र ने कहा, ‘एमडीबी के लिए एक संपूर्ण पैकेज को नेताओं का समर्थन मिलना चाहिए।’
भारत को उम्मीद है कि भूराजनीतिक मसलों के बावजूद नेताओं के सम्मेलन के बाद एक विज्ञप्ति जारी हो पाने की उम्मीद है।