वैश्विक गतिविधियों में तेजी से हो रहे बदलाव से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो रहा है। इसे देखते हुए सरकार बहुप्रतीक्षित विदेश व्यापार नीति में दीर्घावधि के हिसाब से नीति तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इस मामले से जुड़े लोगों ने जानकारी दी है। भारत से वस्तुओं के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए अब तक विदेश व्यापार नीति में 5 साल की नीति बनती रही है।
अब इस नीति को छोड़ा जा सकता है। इसके बजाय सरकार का विदेश व्यापार पर सरकार का ‘विजन स्टेटमेंट’ प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें ध्यान देने के प्रमुख क्षेत्रों या लक्ष्यों का दीर्घावधि के हिसाब से ब्योरा होगा।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारियों में से एक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सरकार विदेश व्यापार नीति को लेकर किसी नियत समयसीमा से नहीं बंधना चाहती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान वैश्विक स्थिति को देखते हुए इस पर विचार हो रहा है। पहले कोविड-19 के कारण अस्थिरता रही, उसके बाद रूस और यूक्रेन के टकराव ने कारोबार पर असर डाला है।’
अधिकारी ने कहा, ‘हम इन व्यवधानों के असर को नियंत्रित नहीं कर सकते। विचार यह है कि लचीला और समावेशी बदलाव वाला रुख हो और 5 साल की समयावधि में जरूरत के मुताबिक चला जा सके। यह नीति दो हिस्सों में विभाजित होगी। पहले हिस्से में विजन स्टेटमेंट होगा, जबकि दूसरे हिस्से में मौजूदा या नई योजनाओं और इससे जुड़े नियम होंगे।’
मौजूदा नीति 1 अप्रैल, 2015 को लागू की गई थी और यह 2020 तक 5 साल के लिए वैध थी। एफटीपी को टाला गया और मौजूदा नीति को हर 6 महीने पर बढ़ाया जाता रहा, क्योंकि कोविड-19 महामारी के व्यवधानों के कारण कारोबार प्रभावित हो रहा था।
इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि मार्च 2022 तक नई नीति आ जाएगी। बहरहाल इसे 30 सितंबर, 2022 तक फिर बढ़ा दिया गया। सरकार नई नीति लागू करने की दिशा में कुछ उल्लेखनीय काम नहीं कर पाई।
उसके बाद वैश्विक व्यवधानों को देखते हुए सितंबर में वाणिज्य विभाग ने इस योजना को और 6 महीने बढ़ाने का फैसला किया। यह महसूस किया गया कि यह नई नीति लागू करने के लिए सही वक्त नहीं है, खासकर ऐसे समय में, जब ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी की ओर बढ़ रही हैं।
सरकार के अधिकारियों ने कहा कि एफटीपी 1 अप्रैल से लागू हो पाएगी या नहीं, इस पर अंतिम फैसला मार्च के अंत तक ही हो सकता है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मंजूरी मिलने के बाद ही ऐसा हो पाएगा। इसके अलावा आम चुनाव महज एक साल है, ऐसे में सरकार नई नीति लागू करने पर फिर से विचार कर सकती है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक (डीजी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा, ‘विदेश व्यापार नीति ऐसे समय में आनी चाहिए, जब वैश्विक व्यापार में निश्चितता हो और भूराजनीतिक अनिश्चितता खत्म हो जाए। हम लगातार ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जैसी स्थिति पिछले साल थी। हमें लगता है कि निर्यात को समर्थन देने के लिए जो भी जरूरी बदलाव हैं, किए जाने चाहिए और उन्हें नीति आने की प्रतीक्षा के बगैर अधिसूचित किया जा सकता है।’