मॉनसून की प्रगति के साथ खाद्य महंगाई की चिंता घट रही है और भारतीय रिजर्व बैंक अपना रुख बदलने को तैयार हो रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक मौजूदा रुख से तटस्थ रुख अपना सकता है। फिक्की-आईबीए की सालाना बैठक के दौरान अपने भाषण में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘महंगाई दर और वृद्धि के बीच संतुलन की स्थिति बहुत बेहतर है।’ उन्होंने खाद्य महंगाई दर को लेकर भी आशावादी रुख दिखाया, क्योंकि मॉनसून बेहतर है। दास ने कहा कि साल के शेष महीनों में महंगाई दर की स्थिति ज्यादा अनुकूल हो सकती है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वृद्धि और महंगाई दर के परिदृश्य को देखते हुए हमारा अनुमान है कि अक्टूबर या दिसंबर 2024 की नीतिगत समीक्षा में रुख में बदलाव हो सकता है।’ रिजर्व बैंक की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने पिछले 2 साल से ज्यादा समय से रुख में बदलाव नहीं किया है, जबसे नीतिगत दरें बढ़ाई जा रही हैं। रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से दर बढ़ोतरी रोक रखी है, लेकिन उसने ‘समायोजन की वापसी’ का रुख बरकरार रखा है।
मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच नीतिगत रीपो रेट में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई है और यह 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मेरा मानना है कि रिजर्व बैंक अभी वृद्धि और महंगाई दर दोनों की स्थिति से संतुष्ट है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि केंद्रीय बैंक भविष्य में महंगाई दर के आंकड़ों के आधार पर अपने रुख या दर में बदलाव के खिलाफ नहीं होगा।’उन्होंने कहा कि दिसंबर में दर में कटौती हो सकती है, जब महंगाई के पूरे आंकड़े सामने होंगे और इनमें स्थिरता आ जाएगी।
खाद्य महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मुसीबत का सबब रही है। उच्च कीमत के साथ अचानक लगे झटकों की वजह से अंतिम छोर तक महंगाई घटाना मुश्किल रहा है। समग्र महंगाई में खाद्य महंगाई का अधिभार 46 प्रतिशत है।
समग्र महंगाई दर तेजी से घटकर जुलाई 2024 में 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो जून 2024 में 5.1 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई सालाना आधार पर घटकर जुलाई में 5.1 प्रतिशत पर पहुंची है, जो जून में 8.4 प्रतिशत थी।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगस्त महीने में भी खाद्य कीमतों में व्यापक स्तर पर गिरावट आई है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘महंगाई के परिदृश्य को लेकर गवर्नर ज्यादा सकारात्मक नजर आ रहे हैं, क्योंकि मॉनसून का वितरण व्यापक स्तर पर सकारात्मक रहा है।। अगस्त महीने में खाद्य कीमतों में मासिक आधार पर गिरावट रही है, जो सब्जियों, दलहन और मोटे अनाज सभी की कीमत में है। हमारा अनुमान है कि मासिक आधार पर खाद्य कीमतों में गिरावट के बाद अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.4 प्रतिशत रहेगी।’
रुख में बदलाव जल्द होने की उम्मीद की जा रही है। वहीं इस बात को लेकर अलग अलग राय है कि रिजर्व बैंक रुख में बदलाव और रीपो रेट में कटौती एक साथ करेगा या पहले रुख में बदलाव करेगा, उसके बार दर कम करेगा। सेन गुप्ता को उम्मीद है कि दर में कटौती का चक्र अक्टूबर या दिसंबर 2024 में शुरू हो सकता है और रुख में बदलाव व नीतिगत दर में कटौती एक साथ होगी।
वहीं इक्रा की नायर ने कहा कि पहले रुख में बदलाव होगा, उसके बाद दर में कटौती की जाएगी। नायर ने कहा, ‘रुख में बदलाव के बाद अगली बैठक में नीतिगत दर में बदलाव हो सकता है। हमारा अनुमान है कि यह 25-25 आधार अंक दो बार में घटाया जाएगा।’
बार्कलेज में क्षेत्रीय अर्थशास्त्री श्रेया सोधानी ने कहा कि साल के शेष महीनों में खाद्य महंगाई दर घटने की ओर रहेगी। सोधानी ने कहा, ‘हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि लगातार खाद्य महंगाई दर का दौर खत्म हो रहा है, हालांकि अक्टूबर नवंबर में मौसमी दबाव फिर बढ़ सकता है। असर के हिसाब से यह तुलनात्मक रूप से (गर्मियों की तेजी की तुलना में) कम रहेगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति का रुख दिसंबर की बैठक तक यथावत रखी जा सकती है और वह दर में कटौती का सही वक्त होगा साथ ही समिति की कवायद होगी कि खास अग्रिम दिशानिर्देश देने से बचा जाए। अब सबकी नजर अगस्त के महंगाई दर के आंकड़ों पर है, जो अगले सप्ताह आने वाले हैं। इस पर अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में विचार होगा, जो 7 से 9 अक्टूबर के दौरान होनी है।