वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (जून 2024 तिमाही) में परिवारों की शुद्ध वित्तीय संपत्ति भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 115.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो सर्वकालिक उच्च स्तर है। शुक्रवार को जारी मोतीलाल ओसवाल की रिसर्च रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि महामारी के बाद से परिवारों की सकल वित्तीय संपत्ति तेजी से बढ़ी है और परिवारों का ऋण महामारी के पहले की अवधि के बराबर बना हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक परिवारों की सकल वित्तीय संपत्ति वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर जीडीपी के 157.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में रिकॉर्ड किए गए 152.9 प्रतिशत के पहले के शीर्ष स्तर से अधिक है। महामारी के पहले परिवारों की वित्तीय संपत्ति जीडीपी के 123 प्रतिशत के बराबर थी।
हालांकि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में परिवारों की वित्तीय देनदारियां जीडीपी के 42 प्रतिशत पर स्थिर रही हैं। रिसर्च रिपोर्ट से पता चलता है कि परिवारों का ऋण वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 127 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 106 लाख करोड़ रुपये था। महामारी के पहले की तिमाहियों में ऋण, जीडीपी के 35 प्रतिशत के बराबर था।
परिवारों की वित्तीय संपत्ति में मुद्रा, जमा, इक्विटी और निवेश फंड, इंश्योरेंस फंड और पेंशन फंड शामिल होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दिलचस्प है कि इक्विटी और निवेश फंडों की हिस्सेदारी बढ़ी है, जबकि अन्य संपत्ति वर्ग जैसे मुद्रा, जमाओं और बीमा की हिस्सेदारी कम हुई है।’
रिपोर्ट के मुताबिक इक्विटी और निवेश फंडों, जिसमें सूचीबद्ध इक्विटी और म्युचुअल फंडों में निवेश शामिल है, की सकल पारिवारिक वित्तीय संपत्ति में हिस्सेदारी, जमाओं के बाद दूसरे उच्च स्तर पर है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में परिवारों की सकल वित्तीय संपत्ति में इक्विटी और निवेश फंडों की हिस्सेदारी बढ़कर 28 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक यह अब तक का सर्वोच्च स्तर है और एक दशक पहले की तुलना में यह दोगुना हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शेयर बाजार में हाल के वर्षों में आई तेजी बहुत प्रभावशाली रही है। यह उल्लेखनीय है कि परिवारों की सकल वित्तीय संपत्ति की हिस्सेदारी सर्वोच्च स्तर पर रही है, वहीं हाउसहोल्ड सेक्टर की शेयर बाजार में हिस्सेदारी एक सीमा के भीतर रही है और वित्त वर्ष 16 से यह 18 से 22 प्रतिशत की सीमा में है और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह 21.5 प्रतिशत है।’
परिवारों की सकल वित्तीय संपत्ति में लघु बचत सहित जमाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 38 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 2010 और वित्त वर्ष 2014 के करीब 50 प्रतिशत से धीरे धीरे घटी है।