हाल ही में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी से घबराई सरकार ने सभी कच्चे खाद्य तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म कर दिया है।
वहीं रिफाइंड पाम, सूरजमुखी, सोयाबीन, नारियल तेल और हाइड्रोजनेटेड वेजीटेबल फैट्स के आयात शुल्क में 7.5 प्रतिशत की कटौती कर दी है।गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, वहीं बासमती चावल का निर्यात मूल्य बढ़ाकर 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया है। यह पहले 1100 डॉलर प्रति मीट्रिक टन था। दाल के निर्यात पर पिछले साल से ही प्रतिबंध था, जो सोमवार को खत्म हो रहा था, सरकार ने इसे और एक साल के लिए बढ़ा दिया है।
कीमतों पर बनी कैबिनेट कमेटी की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर सोमवार को तीन घंटे की मैराथन बैठक के बाद ये फैसले लिए गए। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार के बीच स्टील की कीमतों और लौह अयस्क के दामों में बढ़ोतरी पर मतभेद थे, इन चीजों की आसमान छूती कीमतों ने भी महंगाई की आग को भड़काने में घी का काम किया है। एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले में भी जल्द ही फैसला किया जाएगा।
इन निर्णयों के बारे में अधिसूचना मंगलवार को जारी की गई, हालांकि यह 31 मार्च 2008 की रात के 12 बजे से ही प्रभावी हो गया है।इसी के साथ सोयाबीन और पाम आयल के वर्तमान टैरिफ वैल्यू के बारे अगली नोटिस में फैसला किया जाएगा। मक्खन और घी पर आयात शुल्क 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। मक्के के टैरिफ रेट के निर्धारित 500,000 मीट्रिक टन के कोटे से आयात शुल्क खत्म कर दिया गया है, जो अब तक 15 प्रतिशत था।
प्रशासनिक कदमों के तहत सीसीपी ने यह भी निर्णय लिया है कि स्टाक की सीमा निर्धारित की जाए। तेल बीज और खाद्य तेलों पर से लाइसेंस की अनिवार्यता एक साल के लिए आस्थगित रखा जाए। 18 माह पहले दिए गए अधिकारों के मुताबिक राज्य सरकारें आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टाक की सीमा निर्धारित करने में सक्षम हैं। चिदंबरम ने कहा, ‘यह अधिकार राज्यों को दे दिया गया है, लेकिन मात्र 5-6 राज्यों ने ही इसका प्रयोग किया है। इस अधिकार का प्रयोग राज्यों को करने की जरूरत है।
हम चाहते हैं कि राज्य सरकारें इस अधिकार का प्रयोग, हालात संभालने के लिए व्यापक पैमाने पर करें।’ सरकार ने यह भी फैसला किया है कि अरंडी नारियल और अन्य तेलों (तिल के तेल के अलावा) के निर्यात को अनुमति दी जानी चाहिए। बहरहाल नारियल तेल के निर्यात को केवल कोच्ची पोर्ट से अनुमति दी गई है। इसकी मात्रा के बारे में फैसला बाद में किया जाएगा।
चिदंबरम ने कहा कि ये फैसले किए गए हैं, जबकि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अन्य मुद्दों जैसे स्टील और लौह अयस्क के बारे में अभी विचार-विमर्श चल रहा है। इसके बारे में निर्णय लिए जाने में इसलिए देरी हो रही है, क्योंकि इस्पात मंत्री विदेश के दौरे पर हैं। सरकार आज स्टील और लौह अयस्क उत्पादक कंपनियों से भी मिलने जा रही है, जिससे उन्हें सरकार के विचारों से अवगत कराया जा सके, कि वे इनकी कीमतें न बढ़ाएं।
चिदंबरम ने परोक्ष रूप से चेतावनी भी दी, ‘इस तरह की सूचना मिल रही है कि स्टील उत्पादक कीमतें बढ़ाने की योजना बना रही हैं। सरकार की नजर स्टील की कीमतों पर है और उन्हें सलाह दी जा रही है कि वे इस पर ध्यान दें (कीमतें न बढ़ाएं)।’ सीसीपी की बैठक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद हुई है।15 मार्च 2008 को समाप्त सप्ताह में यह बढ़तक 6.68 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
साथ ही यह भी उम्मीद की जा रही है कि सरकार और केंद्रीय बैंक मिलकर इससे निपटने की कोशिश करेंगे। यह विकास दर के बलिदान पर भी की जा सकती है। बुधवार को इस मुद्दे पर प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह की भी बैठक हो रही है।