FDI Inflow: अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 55.2 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है। यह घटकर 9.69 अरब डॉलर रह गया है, जो 2022 की समान अवधि के दौरान 21.63 अरब डॉलर था। इक्विटी पूंजी की वापसी में वृद्धि के कारण मुख्य रूप से ऐसा हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक के फरवरी 2024 के बुलेटिन के मुताबिक भारत में अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान 19.23 अरब डॉलर एफडीआई आया है, जबकि 9.54 अरब डॉलर निवेश बाहर गया है। 2022 की समान अवधि के दौरान एफडीआई की आवक 32.68 अरब डॉलर थी, जबकि विदेश में 11.05 अरब डॉलर गया था।
भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों द्वारा वापसी/विनिवेश वित्त वर्ष 24 के शुरुआती 9 महीनों के दौरान बढ़कर 32.26 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल-दिसंबर 2022 के 22.81 अरब डॉलर की तुलना में कम है।
रिजर्व बैंक की फरवरी 2024 के ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट के मुताबिक करीब 65 प्रतिशत विदेशी निवेश विनिर्माण, बिजली व अन्य ऊर्जा क्षेत्रों, परिवहन, वित्तीय सेवाओं और खुदरा व थोक व्यापार क्षेत्रों में आया है। सिंगापुर, मॉरिशस, अमेरिका, जापान, संयुक्त अरब अमीरात और नीदरलैंड ने इस दौरान हुए कुल इक्विटी निवेश का तीन चौथाई निवेश किया है।
एफडीआई इंटेलिजेंस के मुताबिक वैश्विक रूप से घोषित नई एफडीआई परियोजनाएं 2022 के 156 से बढ़कर 2023 में 174 हो गई हैं। 2023 में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एफडीआई सेक्टरों में हरित ऊर्जा और डिजिटलीकरण परियोजनाएं शामिल रहीं। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में ढांचागत बदलाव के संकेत देता है।
एफडीआई इंटेलिजेंस फाइनैंशियल टाइम्स का विशेष विभाग है, जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित सेवाओं की समग्र पेशकश मुहैया कराता है। इससे पहले एफडीआई ने कहा था कि भारत दुनिया के उन शीर्ष 10 देशों में से एक है, जो 2024 में निवेश आकर्षित करने में मजबूत स्थिति में हैं।
डेटा सेंटर की क्षमता में बढ़ोतरी भारत के समग्र लाभों में से एक है। यह क्षमता इस साल बढ़कर 1 गीगावॉट से अधिक हो गई है और भारत वैश्विक डेटा केंद्र बनने की स्थिति में है। यह एफडीआई के हिसाब से सकारात्मक स्थिति है। यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस आन ट्रेड ऐंड डेवलपमेंट (अंकटाड) को उम्मीद है कि 2024 में वैश्विक एफडीआई प्रवाह में मामूली बढ़ोतरी होगी।