देश से वस्तुओं के निर्यात में लगातार 7वें महीने गिरावट आई है। विदेशी बाजार में कमजोर मांग के कारण अगस्त में निर्यात 6.9 फीसदी घटकर 34.48 अरब डॉलर रहा। हालांकि सरकार ने उम्मीद जताई कि निर्यात में अब स्थिरता दिखने लगी है और इसमें सुधार के भी संकेत नजर आ रहे हैं।
इस बीच अगस्त में व्यापार घाटा 10 महीने में सबसे ज्यादा 24.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने और घरेलू मांग में तेजी की वजह से इसके आयात में जुलाई की तुलना में करीब 11 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वाणिज्य विभाग द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में वस्तुओं का आयात भी 5.2 फीसदी घटकर 58.64 अरब डॉलर रहा। 2023 की शुरुआत से ही आयात और निर्यात में गिरावट बनी हुई है मगर आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई के बाद से गिरावट थोड़ी कम हुई है।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि यह ध्यान देना भी जरूरी है कि निर्यात में कमी पिछले साल के उच्च आधार यानी निर्यात बहुत अधिक होने की वजह से भी दिख रही है। इस साल जिंसों के दाम घटने से निर्यात मूल्य पर असर पड़ा है जबकि मात्रा के लिहाज से यह सकारात्मक बना हुआ है।
बड़थ्वाल ने कहा, ‘निराशा (जुलाई तक) अब आशा में बदल रही है और सुधार के संकेत भी स्पष्ट नजर आ रहे हैं। उद्योगों का कहना है कि उनके निर्यात ऑर्डर बेहतर हुए हैं और निर्यात ऑर्डर बुक को लेकर भी उनका रुख सकारात्मक है। अगस्त में भी जुलाई जैसी स्थिति दिख रही है। इसका मतलब है कि वैश्विक निर्यात परिदृश्य में सुधार हुआ है।’
गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण के निर्यात में अभी तक गिरावट का रुख बना हुआ था जो अगस्त में 3.2 फीसदी बढ़कर 26 अरब डॉलर रहा है। यह अच्छी बात है। बड़थ्वाल ने कहा कि आगे कच्चे तेल के दाम बढ़ने से जिंसों की कीमतों में भी तेजी आ सकती है और इसका निर्यात पर असर दिख सकता है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार जुलाई-अगस्त में वस्तुओं के मासिक व्यापार घाटे का औसत अप्रैल-जुलाई, 2023 की तुलना में काफी ज्यादा है। इससे वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है, जो पहली तिमाही में संभवत: 10 से 12 अरब डॉलर था। अगस्त में 30 क्षेत्रों में से 15 में वस्तु निर्यात घटा है।
निर्यात में सबसे ज्यादा गिरावट पेट्रोलियम उत्पादों (30.61 फीसदी), रत्न एवं आभूषण (21.94 फीसदी), रेडीमेड परिधान (8.15 फीसदी), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायनों (18.83 फीसदी) में रही है। मगर इलेक्ट्रानिक्स वस्तुओं के निर्यात में 26.29 फीसदी और इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में 7.73 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इसी तरह 30 में से 15 वस्तुओं के आयात में भी गिरावट आई है। कोयला (43.47 फीसदी), क्रूड पेट्रोलियम (23.76 फीसदी) और बहुमूल्य रत्नों (15.82 फीसदी) के आयात में सबसे ज्यादा कमी आई है। दूसरी ओर सोने का आयात अगस्त में 38 फीसदी बढ़कर 4.9 अरब डॉलर पहुंच गया। मुख्य रूप से त्योहारी मौसम की वजह से सोने के आयात में इजाफा हुआ है।
निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि निर्यात वृद्धि के बेहतर आंकड़े दिखने शुरू हुए हैं और अगले कुछ महीनों में क्रिसमस और नववर्ष के लिए नए ऑर्डर मिलने से निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है। सेवाओं के निर्यात की बात करें तो अगस्त में यह 0.4 फीसदी घटकर 26.39 अरब डॉलर रहा जबकि सेवाओं का आयात इस दौरान 9 फीसदी बढ़कर 13.86 अरब डॉलर रहा।
कुल मिलाकर सेवा क्षेत्र के आयात-निर्यात में 12.53 अरब डॉलर का अधिशेष है। हालांकि अगस्त के सेवा क्षेत्र के आंकड़े अनुमानित हैं और भारतीय रिजर्व बैंक से इसके आंकड़े जारी होने के बाद इन्हें संशोधित किया जाएगा।