वाणिज्य विभाग ने बुधवार को वित्त मंत्रालय से बातचीत में निर्यातकों को ऋण प्रवाह बनाए रखने पर जोर दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि लाल सागर इलाके में सामने आ रही चुनौतियों के कारण इस समय निर्यातकों की लागत बढ़ी है, जिसे देखते हुए यह अनुरोध किया गया है।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल की अध्यक्षता में हुई अंतरमंत्रालयी बैठक में इस मसले पर चर्चा की गई। इस बैठक का मकसद लाल सागर में चल रहे संकट का कारोबार पर पड़ने वाले असर को लेकर रणनीतिक कदमों पर विचार करना था। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘इस बात पर चर्चा हुई कि इस इलाके में चीजें कैसे बेहतर की जा सकती हैं। हमने डीएफएस (वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग) से आसान बैंक ऋण पर नजर रखने को कहा है, जिससे निर्यातकों को ऋण का प्रवाह बना रह सके।’
इसके अलावा जहाजरानी मंत्रालय से कहा गया है कि बड़े बंदरगाहों से व्यापार की मात्रा पर नजर रखी जाए, जिससे इस पर असर न पड़े।
अधिकारी ने कहा, ‘विभिन्न संबंधित मंत्रालयों से मिल रही जानकारी के मुताबिक हम स्थिति की नजदीकी के निगरानी कर रहे हैं।’रक्षा मंत्रालय सर्विलांस व्यवस्था सुधारने पर नजर रख रहा है, वहीं विदेश मंत्रालय ईरान के साथ कूटनीतिक बातचीत कर रहा है।
सरकार के अधिकारियों का विचार है कि अभी स्थिति चिंताजनक नहीं है, भले ही जहाजों का मार्ग बदला जा रहा है और व्यापार में अधिक वक्त लगने से किराया बढ़ा है।
सोमवार को वाणिज्य विभाग ने कहा था कि लाल सागर से होकर गुजरने वाली व्यापारिक जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमने बढ़े हैं, जिसकी वजह से माल ढुलाई बढ़ने के साथ बीमा प्रीमियम और ढुलाई का वक्त भी बढ़ा है, जिसकी वजह से आगे चलकर आयातित वस्तुएं उल्लेखनीय रूप से महंगी हो सकती हैं।
लाल सागर 30 प्रतिशत वैश्विक कंटेनरों की आवाजाही और 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार के हिसाब से अहम है। भारत का यूरोप के साथ 80 प्रतिशत व्यापार लाल सागर के माध्यम से होता है।