facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

निर्यातकों व अन्य को मिली राहत

Last Updated- December 15, 2022 | 1:08 PM IST

सरकार ने निर्यातकों सहित अन्य अन्य को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेने के मामले में राहत दी है।
 केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इसके पहले साफ किया था कि आईटीसी सिर्फ उन इनपुट तक सीमित है, जो खरीदारों के इनपुट में नजर आता है। जब आपूर्तिकर्ता अपना विक्रेता फॉर्म जीएसटीआर 1ए प्रस्तुत करता है तो वह वस्तु स्वत: ही खरीदार के इनपुट फॉर्म में नजर आने लगती है, जिसे जीएसटीआर 2 ए कहा जाता है। अब यह मसला सामने आया कि कुछ आपूर्तिकर्ता, जैसे भारत के आयातकों को निर्यात करने वाले विदेशी कोई जीएसटीआर 1ए फॉर्म नहीं दाखिल करते क्योंकि वे भारत के न्यायिक क्षेत्र में नहीं आते हैं। ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि ऐसे में भारत के आयातक, जिनका आयातित सामान निर्यात के लिए होता है, लेकिन उनका यह इनपुट जीएसटीआर 2ए फॉर्म में नजर नहीं आता।
इसी तरह की समस्या उन लोगों के मामले में भी आती है, जो जीएसटी का भुगतान रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत करते हैं। सामान्यतया एक व्यक्ति या एक इकाई जो सेवा या वस्तु उपलब्ध कराती है, उसे खदाने में कर का भुगतान करना होता है और यह राशि वर सेवा या वस्तु प्राप्त करने वाले से लेता है। लेकिन आरसीएम के तहत सेेवा या वस्तु प्राप्त करने वाला व्यक्ति विक्रेता कर का भुगतान करता है, जो विक्रेता को किए गए भुगतान में काट लिया गया होता है। जो इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स (आईएसडी) रखते हैं, उन्हें भी इसी तरह की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसा तबहोता है जब संबंधित कंपनी का मुख्यालय एक जगह स्थित होता है, जबकि वितरक उसके विभिन्न कार्यालयों के इनपुट का इस्तेमाल करते हैं। इस मामले में भी मुख्यालयों के बाहर के कार्यालय इनपुट नहीं पाते, जो उनके जीएसटीआर 2 ए में दिखता है।  सरकार ने अब आयातों, आईएसडी और आरसीएम को उस आईटीसी सीमा से बाहर कर दिया है, जो जीएसटीआर 2ए में नजर आता है। जैन ने कहा, ‘इससे भारत के लिए विदेशी मुद्रा की कमाई करने वालों को बड़ी राहत मिलेगी, जो रिफंड दावों को लेकर जमीनी स्तर पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे थे।’

First Published - June 11, 2020 | 11:42 PM IST

संबंधित पोस्ट