विकसित देशों में आर्थिक नरमी और ऊंची महंगाई के कारण मांग घटने से जून में देश से केवल 32.97 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात हुआ, जो साल भर पहले के मुकाबले 22 फीसदी कम है।
इस गिरावट का कारण पिछले साल जून में निर्यात बहुत अधिक रहना बताया जा रहा है मगर मई, 2020 में 35 फीसदी कमी के बाद यह सबसे अधिक गिरावट है।
पिछले महीने वस्तु आयात भी 17 फीसदी कम होकर 53.1 अरब डॉलर रहा, जो सितंबर 2020 के बाद सबसे कम है। इसी साल मई के मुकाबले जून में आयात 7 फीसदी घटा है, जिससे पता चलता है कि जिंसों के दाम घटने से आयात में कमी आई है।
व्यापार घाटा भी कम हुआ
निर्यात और आयात में तेज गिरावट से देश का व्यापार घाटा भी कम हुआ है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जून में व्यापार घाटा 20.13 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल जून में 22.06 अरब डॉलर था। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि निर्यात में गिरावट के कई कारण हैं।
उत्तर अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नरमी से निर्यात प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि दुनिया मंदी और मुद्रास्फीति से जूझ रही है, जिसका असर विनिर्माण गतिविधियों पर पड़ रहा है और निर्यात भी प्रभावित हो रहा है।
बड़थ्वाल ने बताया कि निर्यातकों को जुलाई-सितंबर तिमाही से निर्यात में सुधार आने और नए आर्डरों की वजह से पिछला स्टॉक निकलने की उम्मीद है।
जून में 30 क्षेत्रों में से 21 के उत्पादों का निर्यात घटा। पेट्रालियम उत्पादों के निर्यात में 47.51 फीसदी, रत्नाभूषण में 35.6 फीसदी, इंजीनियरिंग वस्तुओं में 10.99 फीसदी और सूती धागे के निर्यात में 1.21 फीसदी की गिरावट आई। मगर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं (45.36 फीसदी), दवाओं (5.13 फीसदी) और हथकरघा उत्पादों (5.14) का निर्यात बढ़ गया।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘अधिकतर उप-समूहों के उत्पादों का निर्यात पिछले साल जून की तुलना में घटा है, जिससे पता चलता है कि मांग कमजोर है और जिंसों की कीमतें कम हैं। निर्यात में आधी गिरावट तो पेट्रोलियम उत्पादों के कारण ही आई।’
करीब एक साल तक गिरावट के बाद जून में सोने का आयात 82.38 फीसदी बढ़कर 4.99 अरब डॉलर रहा। भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन अरुण कुमार गरोड़िया ने कहा कि प्रमुख बाजारों में मांग कम होने की वजह से इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात घटा है।