नई औपचारिक नौकरियों का सृजन लगातार तीसरे महीने बढ़ा है। जून में यह 9 महीने के उच्च स्तर पर है। इससे वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में श्रम बाजार में सतत सुधार के संकेत मिलते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के हाल के आंकड़ों से यह सामने आया है।
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या जून में करीब 10 प्रतिशत बढ़कर जून में 10,14,229 हो गई है, जो मई में 9,27,703 थी। इसके पहले सितंबर 2022 में 10,15,683 नए सबस्क्राइबर ईपीएफ में पंजीकृत हुए थे।
इन 10,14,229 नए सबस्क्राइबरों में युवा सबस्क्राइबरों (18 से 28 साल आयु वर्ग) की संख्या जून में 67.8 प्रतिशत (6,87,823) बढ़ी है, जबकि मई में 66.5 प्रतिशत (6,16,783) बढ़ी थी। यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस आयुवर्ग में सबस्क्राइबरों की संख्या सामान्यतया ऐसे लोगों की होती है, जो पहली बार श्रम बाजार में कदम रखते हैं और इससे तेजी के संकेत मिलते हैं। इसी तरह से जून में नई नौकरियां पाने वालों में महिलाओं की हिस्सेदारी 27.7 प्रतिशत (2,81,078) बढ़ी है, जो इसके पहले महीने में 24.9 प्रतिशत (2,31,187) बढ़ी थी।
टीमलीज सर्विसेज की सह संस्थापक ऋतुपर्ण चक्रवर्ती ने कहा कि पहली तिमाही में फर्में सामान्यतया अपने कार्यबल की कुल जरूरतों का ध्यान रखकर तैयारी करती हैं, जिससे नई भर्तियां होती हैं। उन्होंने कहा, ‘आगे की स्थिति देखें तो पहली तिमाही के दौरान भर्ती की गतिविधियां बनी रही हैं और कम से लेकर मध्यावधि के हिसाब से यह स्थिति बनी रहेगी क्योंकि त्योहारों का लंबा मौसम अभी शुरू होने जा रहा है, जिससे और नौकरियों के सृजन की संभावना है।’
उनका समर्थन करते हुए इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा कि जून के आंकड़ों से औपचारिक नौकरियों के सृजन में तेजी का पता चलता है और यह अनौपचारिक से औपचारिक रोजगार में बदलाव का संकेतक है, जो सामान्यतया मझोले और बड़े उद्यम में होता है।
उन्होंने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के साथ अर्थव्यवस्था धीरे धीरे और औपचारिक बन रही है और प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। इसका सकारात्मक असर खुदरा, बैंकिंग, वित्तीय, टेलीकॉम और विनिर्माण क्षेत्र पर नजर आ रहा है।
नियोक्ता भी लोगों को औपचारिक क्षेत्र में जोड़ना चाह रहे हैं, क्योंकि इससे निरंतरता व कौशल सुनिश्चित होता है।’ इसके अलावा पेरोल की संख्या में शुद्ध वृद्धि, जिसकी गणना नए सबस्क्राइबरों के आने, इससे निकलने वाले और पुराने सबस्क्राइबरों की वापसी मिलाकर होती है, जून में 29.9 प्रतिशत रही है। यह मई के 13.8 लाख की तुलना में जून में 17.8 लाख हो गई है।
हालांकि शुद्ध मासिक पेरोल के आंकड़े अनंतिम प्रकृति के होते हैं और अक्सर इसमें अगले महीने में तेज बदलाव होता है। यही वजह है कि नए ईपीएफ सबस्क्राइबरों के आंकड़े शुद्ध वृद्धि की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय होते हैं।