प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अगुआई वाली गठबंधन सरकार के तहत वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की सबसे बड़ी चुनौती वस्तु निर्यात की वृद्धि बहाल करने की होगी, जिसे कई तरह के बाहरी कारणों मसलन भू-राजनीतिक जोखिम और उच्च महंगाई से जूझना पड़ रहा है। साल 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर के वस्तु निर्यात लक्ष्य के अनुरूप इसके लिए विशेष कार्य योजना तैयार किए जाने की उम्मीद है।
इस बात की संभावना है कि नई सरकार अधूरा एजेंडा पूरा करेगी खास तौर पर ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने से संबंधित एजेंडा। भारत और ओमान के बीच बातचीत इस साल की शुरुआत में पूरी हो गई थी और नई सरकार के गठन के बाद मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलते ही समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की तैयारी है।
हालांकि इससे पहले नई सरकार की 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत जुलाई में भारत और ब्रिटेन के साथ बातचीत पूरी करने की योजना थी, लेकिन बातचीत दोबारा शुरू करने में ज्यादा वक्त लग सकता है, क्योंकि जुलाई में ब्रिटेन में भी चुनाव होने हैं।
जहां पेरू, यूरोपीय संघ (EU) के साथ एफटीए वार्ता जारी रह सकती है, वहीं अगले कुछ महीने में साउथ अफ्रीकन कस्टम्स यूनियन (एसएसीयू), चिली और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ एफटीए वार्ता शुरू करने के लिए विचार-विमर्श की उम्मीद है।
पहले 100 दिनों में एक अन्य प्राथमिकता ई-प्लेटफॉर्म-ट्रेड कनेक्ट की शुरुआत भी हो सकती है। यह निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के हितधारकों से जुड़ने में मदद करेगा।
नई सरकार वैश्विक व्यापार के उभरते ऑर्डर के अनुरूप विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) कानून में लंबित संशोधनों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है, ताकि विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ औद्योगिक पार्कों के निर्माण का समर्थन और विनिर्माण में निवेश आकर्षित किया जा सके। अलबत्ता इसका सटीक समय नई सरकार की प्राथमिकताओं पर निर्भर कर सकता है।
इस बात की संभावना है कि नए मंत्री वाणिज्य विभाग के ढांचे की रूपरेखा का प्रबंधन करेंगे, जिससे प्रणाली ज्यादा कुशल बन जाएगी। जहां तक उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग का सवाल है, तो इस बात पर फैसला किया जा सकता है कि क्या कुछ और क्षेत्रों में आगे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) उदारीकरण का प्रयास किया जा सकता है।
इसके अलावा लंबे समय से लंबित ई-कॉमर्स नीति के संबंध में कुछ कार्रवाई हो सकती है, जिसे सरकार साल 2018 से लाने की कोशिश कर रही है। नीति मजबूत करने का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र के अभिनव और जोरदार वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जाए।
कपड़ा उद्योग चाहता है कि सरकार गुणवत्ता नियंत्रण के आदेश (क्यूसीओ) पर पुनर्विचार करे। मूल्य संवर्धित कच्चे माल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी दामों पर कच्चा माल नहीं मिल सकता है, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय कपड़ों और परिधानों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
दिल्ली स्थित कपड़ा उत्पादक टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय कुमार जैन ने कहा ‘अल्पावधि में प्रमुख चीजों के क्यूसीओ की समीक्षा और संशोधन होना चाहिए। क्यूसीओ की वजह से, जो केवल कच्चे माल पर है, कच्चे माल का आयात करने के बजाय तैयार कपड़े और परिधान आ रहे हैं, जबकि इसमें कोई गुणवत्ता नियंत्रण नहीं है। इससे उपभोक्ताओं और उद्योग के हितों को समान रूप से नुकसान पहुंच रहा है।’
(साथ में चेन्नई से शाइन जैकब)