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रोज हो रहे नुकसान के बीच घाटे में जा रहीं कताई मिलें, अब केंद्र सरकार से आस

Last Updated- May 22, 2023 | 11:17 PM IST
Mega textile parks to be set up in seven states, says PM Modi

वैश्विक वित्तीय संकट के कारण कम मांग, ब्याज दर में बढ़ोतरी, बिजली दर में बढ़ोतरी, आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ऋण की अदायगी और चीन, बांग्लादेश व वियतनाम से निर्बाध रूप से धागे के आयात की वजह से कताई मिलों को प्रति किलो धागे पर 20 से 25 रुपये नुकसान उठाना पड़ रहा है। कताई उद्योग के कारोबारियों ने यह जानकारी दी है।

तमिलनाडु स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन (टीएएसएमए) के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से बैंकों ने ब्याज दर 7.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.75 प्रतिशत कर दिया है, जिससे धागे की उत्पादन लागत में 5 से 6 रुपये किलो की वृद्धि हुई है। तमिलनाडु में हाल में बिजली का बिल बढ़ने से मौजूदा खपत शुल्क, अधिकतम मांग शुल्क, व्यस्त घंटों का शुल्क और अन्य परोक्ष शुल्क बढ़ गया है, जिससे इकाइयों की चिंता बढ़ी है और अब वे केंद्र सरकार से राहत मांग रही हैं।

उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले 3 साल से मांग में लगातार मंदी बने रहने के कारण मिलें अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं। पहले कोविड महामारी के कारण सुस्ती आई और उसके बाद रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर कारोबार पर पड़ रहा है। ऐसे में ज्यादातर इकाइयां अपनी क्षमता का 25 से 30 प्रतिशत ही चल रही हैं। इसकी वजह से कंपनियां अपने सावधि ऋण का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं और उनकी कार्यशील पूंजी भी खत्म हो गई है।

टीएएसएमएके मुख्य सलाहकार के वेंकटचलम ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक की नीतिगत मंजूरी के साथ एक सामान्य पुनर्गठन योजना की घोषणा की जा सकती है, जिससे सभी बैंक इन इकाइयों के खाते का तत्काल पुनर्गठन कर सकें और उनके कर्ज को तत्काल एनपीए बनने से रोका जा सके। यह समय की मांग है और इसे तत्काल किए जाने की जरूरत है।’

कोविड के दौरान भारत सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिटलाइन गारंटी स्कीम के तहत कम अवधि का कर्ज दिया था, जिससे कि इस उद्योग को बचाया जा सके। जिन उद्यमियों ने यह ऋण लिया था, उन्होंने संकट टालने के लिए इसका इस्तेमाल किया और बैंक के बकाये, बिजली के बिल, श्रमिकों की मजदूरी आदि का भुगतान किया। ईसीएलजीएस ऋण का पुनर्भुगतान शुरू हो गया है, जिससे कताई मिलों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। टीएएसएमए का कहना है कि इससे उत्पादन लागत 5 रुपये किलो और बढ़ गई है। उद्योग संगठन चाहता है कि 6 महीने कोई भुगतान न लिया जाए और उसके बाद कम ब्याज पर भुगतान के लिए 7 साल वक्त दिया जाए।

मशीनरी, कल पुर्जों, बिजली के सामान, श्रमिकों के विस्थापन व अन्य परोक्ष लागतों की वजह से उत्पादन लागत बढ़ी है। ईसीएलजीएस के पुनर्गठन के साथ उद्योग ने ब्याज दर घटाने की भी मांग की है।

First Published - May 22, 2023 | 11:16 PM IST

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