मंगलवार को 9 राज्यों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही की पहली बॉन्ड नीलामी के माध्यम से 16,200 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इससे पिछले सप्ताह 12 राज्यों ने इन प्रतिभूतियों के जरिये 22,450 करोड़ रुपये जुटाए थे।
राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान राज्य विकास ऋण (एसडीएल) के माध्यम से 2.37 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अपनी उधारी योजना में बदलाव किया था और अधिसूचित राशि 1.9 लाख करोड़ रुपये का 84 प्रतिशत ही बाजार से लिया था।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक तमिलनाडु ने 2 बॉन्डों के माध्यम से सबसे ज्यादा 4,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें से 2,000 करोड़ रुपये 20 साल के पेपर के माध्यम से जुटाए हैं, जिसका कटऑफ प्रतिफल 7.45 प्रतिशत है। वहीं 2,000 करोड़ रुपये 10 साल के पेपर के माध्यम से जुटाया गया है जिसका कटऑफ प्रतिफल 7.44 प्रतिशत है।
बहरहाल 10 साल के एसडीएल और 10 साल के सरकारी बॉन्ड मानक के बीच प्रतिफल का प्रसार इस समय 32 आधार अंक है। डीलरों ने कहा कि दीर्घावधि निवेशक सरकारी बॉन्डों की जगह राज्यों के बॉन्ड पसंद कर रहे हैं, क्योंकि उस पर मुनाफा ज्यादा मिल रहा है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘ज्यादातर पेपर्स लंबी अवधि के थे, ऐसे में हमारे पास तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ ही विकल्प थे, जिनकी अवधि 10 साल और 11 साल थी।’
डीलरों ने कहा कि बैंक सामान्यतया 10 साल से 12 साल तक की परिपक्वता वाले बॉन्ड रखते हैं।