अनिल अग्रवाल प्रवर्तित वेदांत रिसोर्सेज के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी जाम्बिया में पहले विवादित रहीं अपनी तांबा खदानों से उत्पादन शुरू करने की योजना बना रही है। कंपनी के अनुसार खनन से प्राप्त तांबे को अन्य बाजारों के अलावा भारतीय बाजारों में भी बेचा जाएगा।
भारत में सूचीबद्ध वेदांत की स्टरलाइट कॉपर और वेदांत रिसोर्सेज कोंकोला कॉपर माइंस (केसीएम) के जरिये अग्रवाल के तांबा व्यवसाय पिछले कुछ वर्षों से कानूनी विवाद में फंसे हुए थे। वेदांत लिमिटेड के अधिकारियों ने जून नतीजों के बाद विश्लेषकों को बताया कि उन्हें वित्त वर्ष 2025 के अंत तक केसीएम से 100 किलो टन तांबा उत्पादन की उम्मीद है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को भेजे गए ईमेल जवाब में वेदांत रिसोर्सेज के प्रवक्ता ने कहा कि इस खदान के उत्पादन को भारत समेत वैश्विक बाजारों में बेचा जाएगा। वेदांत के प्रवक्ता ने कहा, ‘केसीएम भारतीय बाजार को भी अतीत की तरह सेवाएं देने पर विचार करेगी। तांबा स्पष्ट रूप से भविष्य की धातु है और इसकी आपूर्ति श्रृंखला महत्वपूर्ण है। भारत सरकार भी इसे सुरक्षित बनाने के लिए बेहद उत्सुक है। देश में तांबे की भारी मांग है। इसका वर्तमान में घरेलू उत्पादन सीमित और आयात ज्यादा है।’
सितंबर 2023 में जाम्बिया सरकार ने समूह को खदान मालिकों के रूप में बहाल किया। लेकिन इससे पहले वेदांत समूह की केसीएम खदानों के स्वामित्व को लेकर लंबे समय तक जांबिया में लड़ाई चली। जुलाई में वेदांत ने कहा कि उसने बकाया भुगतान कर दिया है और इन खदानों का स्वामित्व फिर हासिल कर लिया है।
वेदांत के प्रवक्ता ने यह नहीं बताया है कि समूह ने बिक्री का कितना हिस्सा भारत में बेचने की योजना बनाई है। 100 किलोटन का शुरुआती उत्पादन लेकर चलें तो यह जून 2024 को समाप्त तिमाही में भारत के परिष्कृत तांबे की कुल मांग का आधा है जो 201 किलो टन थी।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टरलाइट की तूतीकोरिन इकाई बंद है। वेदांत के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या केसीएम खदानों से तांबे की बिक्री से समूह को तांबे के लिए कमोडिटी से जुड़े अवसर फिर से हासिल करने में मदद मिलेगी जो तमिलनाडु इकाई के बंद होने के कारण उसे गंवाने पड़े थे। वेदांत की स्टरलाइट कॉपर इकाई की क्षमता 400 किलो टन प्रति वर्ष थी।