देश में प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों ने अपने मौजूदा मॉडलों पर हल्के दुर्लभ खनिज मैग्नेट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, ताकि 1 अप्रैल से चीनी निर्यात नियंत्रण आदेश के कारण अटकने वाली वाली आपूर्ति की कमी से उबरा जा सके। चीन के इस कदम से वाहनों का उत्पादन बंद हो सकता है। वर्तमान में ये कंपनियां अपने वाहनों में मध्य और भारी दुर्लभ खनिज मैग्नेट का उपयोग करती हैं, जिन्हें वे चीन से आयात करती थीं।
इनमें से कई दोपहिया कंपनियों को उम्मीद है कि वे अगले तीन से चार महीने में हल्के दुर्लभ खनिज मैग्नेट से चलने वाले अपने वाहन बाजार में पेश कर देंगी। हल्के दुर्लभ खनिजों का परमाणु भार कम होता है और ये भारी दुर्लभ खनिजों की तुलना में दुनिया भर में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भारी दुर्लभ खनिजों का परमाणु भार अधिक होता है और ये कम स्थानों पर सीमित मात्रा में पाए जाते हैं।
चीन के निर्यात आदेश ने सात मध्य और भारी खनिज सामग्रियों – सेमैरियम, गैडोलिनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेटियम, स्कैंडियम और येट्रियम (जिनमें से कुछ का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है) को नियंत्रण सूची में डाल दिया है। चीन को डर है कि इन तत्वों का उपभोग ‘दोहरे उपयोग’ के लिए किया जा रहा है। लेकिन हल्की दुर्लभ खनिज सामग्री निर्यात आदेश का हिस्सा नहीं हैं और उनमें नियोडिमियम जैसे तत्व भी शामिल हैं, जिनका उपयोग आम तौर पर वाहनों में किया जाता है।
एक प्रमुख दोपहिया कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हम पहले से ही अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर एसकेयू (स्टॉक कीपिंग यूनिट) पर हल्के दुर्लभ खनिज मैग्नेट के साथ प्रयोग कर रहे हैं और हमने दूरी, गति, बैटरी लाइफ तथा राइड क्षमता के मामले में मॉडलों की दक्षता पर कोई असर नहीं देखा है। हमें उम्मीद है कि सरकार अगले तीन से चार महीने में नए मैग्नेट से संचालित मोटरों को नियामकीय मंजूरी देने में सक्षम होगी। चूंकि हमारे पास जुलाई तक स्टॉक है, इसलिए अधिक से अधिक एक से दो महीने के लिए व्यवधान हो सकता है।’
कंपनी के अधिकारियों का यह भी कहना है कि परीक्षण के लिए चीनी कंपनियों ने पहले ही भारतीय कंपनियों को भेजे गए मोटर सब-असेंबली पर अपने हल्के दुर्लभ खनिज आधारित मैग्नेट लगा दिए हैं और उन्हें वापस भारत निर्यात कर दिया है। कुछ कंपनियों ने आयातकों के जरिये अपने चीनी विक्रेताओं को इन हल्के दुर्लभ खनिज मैग्नेट का बड़ी मात्रा में ऑर्डर दिया है। लेकिन वे सीमा शुल्क विभाग की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। इसमें कुछ समय लग सकता है क्योंकि चीनी सरकार के नियमों के अनुसार इन्हें मंजूरी से पहले यह सुनिश्चित करना है कि इन खेपों में किसी भी भारी दुर्लभ खनिज का कोई अंश न हो।
एक दोपहिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी स्वीकार करते हैं कि मुख्य समस्या यह है कि कोई नहीं जानता कि वे ऐसे आयात को कब मंजूरी देंगे।