भारत के अगली पीढ़ी के बिजनेस लीडर विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवाचार, समावेशन और स्थिरता को अपना रहे हैं। मुंबई में आयोजित 11वें एसबीआई बैंकिंग ऐंड इकनॉमिक कॉन्फ्रेंस में युवा नेतृत्व पर चर्चा के दौरान युवा कार्याधिकारियों (सीईओ) ने भविष्य के हिसाब से सुरक्षित भारतीय उद्यमों की संभावना पर चर्चा की। सत्र में वित्तीय समावेशन, ऊर्जा परिवर्तन और नेतृत्त्व में पीढ़ीगत बदलाव सहित प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई।
चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने 2047 तक विकसित भारत की आकांक्षा के लिए समावेशन और नवोन्मेष महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर देश प्रगति कर रहा है तो आप बड़ी आबादी को पीछे नहीं छोड़ सकते। उन्होंने तकनीकी उन्नयन के पूरक के रूप में व्यापक वित्तीय समावेशन पर जोर दिया।
अदाणी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अदाणी ने कहा, ‘हम अगले 5 साल में बड़े पैमाने पर सौर, पवन और हाइब्रिड संयंत्रों पर करीब 35 अरब डॉलर निवेश कर रहे हैं।’ भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को लेकर भरोसा जताते हुए अदाणी ने कहा कि बढ़ते आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और डेटा सेंटर को देखते हुए भविष्य में बिजली की मांग पूरी करने के लिए1,000 से 3,000 गीगावॉट अतिरिक्त उत्पादन क्षमता की जरूरत होगी।
अहमदाबाद की टॉरंट पॉवर के वाइस चेयरमैन जिनाल मेहता ने कंपनी के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी, जिसमें 2032 तक 1.1 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय की योजना शामिल है। नेतृत्व में महिलाओं की भूमिका के बारे में बात करते हुए स्वतंत्र माइक्रोफिन की संस्थापक और अध्यक्ष अनन्या बिड़ला ने विरासती व्यावसायिक प्रथाओं और सामाजिक संरचनाओं को नया आकार देने में महिलाओं की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कॉर्पोरेट नेतृत्व में समान प्रतिनिधित्व का आह्वान किया।
आरपीजी ग्रुप के वाइस चेयरमैन अनंत गोयनका और गोदरेज ऐंड बॉयस की कार्यकारी निदेशक नायरिका होल्कर ने बताया कि किस तरह से बिजनेस अब युवा कर्मचारियों व ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक ढल रहे हैं। गोयनका ने कहा कि शेयरधारक वर्चस्व से लेकर हितधारक वर्चस्व तक की प्राथमिकता में बदलाव स्पष्ट नजर आ रहा है। होल्कर ने नवोन्मेष को बढ़ावा देने और प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिए कॉरपोरेट नीतियों को बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कार्यस्थल पर जेन जेड के मूल्यों व अपेक्षाओं से तालमेल बनाने के महत्त्व पर जोर दिया।