वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका में बैंकिंग संकट के बीच देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदाता कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की है। TCS ने कृति कृतिवासन को नया मुख्य कार्याधिकारी (CEO) नामित किया है, वह 1 जून से कार्यभार संभालेंगे। तीन दशक से लंबे समय से TCS में कार्यरत कृतिवासन मानते हैं कि सीईओ का पद बराबरी वालों के बीच पहला है। अपने पहले साक्षात्कार में उन्होंने शिवानी शिंदे से चुनौतियों, निकट अवधि में वृद्धि के अवसर और अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बात की। प्रमुख अंश:
आप TCS की कमान तब संभाल रहे हैं, जब उद्योग चुनौतियों से गुजर रहा है। TCS पर इसका क्या असर होगा?
TCS में यह मेरा 34वां साल है। वास्तव में कंपनी के लिए मेरे विचार लंबे समय तक सकारात्मक रहेंगे और मैंने इसे लगातार मजबूत बनते देखा है। यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह की चुनौतियां सामने आई हैं। हमने इससे भी बुरा वक्त देखा है। लेकिन हर बार हम इससे बेहतर तरीके से उबरे हैं और ग्राहकों के लिए नए समाधान तथा पेशकश लेकर आए हैं। कोविड के दौरान ग्राहकों के साथ हमारा जुड़ाव बढ़ा है क्योंकि हमने उनकी चुनौतियां जिस तरह सुलझाई हैं, वह उन्हें बहुत पसंद आया है। कोई भी समय अच्छा या बुरा नहीं होता और हम किसी समय का इंतजार नहीं करते हैं क्योंकि हमारी बुनियादी काफी मजबूत है। हालांकि निकट भविष्य में थोड़ी अनिश्चितता है मगर हम उससे भी पार हो लेंगे।
पिछले कुछ वर्ष देखें तो TCS का आधार काफी बढ़ा है, लेकिन वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। आपका क्या कहना है?
मेरा मानना है कि हमारा आकार हमारी संपत्ति है। हमसे बड़ी कुछ कंपनियां भी अच्छी वृद्धि कर रही हैं। जब आप हमारे कारोबार का मॉडल देखेंगे तो पाएंगे कि यह पूरी तरह कम संपत्तियों पर आधारित है। हम बड़ा अधिग्रहण नहीं करते हैं। हमारे शेयर पर रिटर्न संभवत: सबसे अच्छा है और हमें शेयरधारकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास है। कभी-कभार हमारी वृद्धि दर दूसरों की तुलना में थोड़ी कम रहती है। लेकिन यह भी सच है कि हमारी मौजूदगी लगभग सभी क्षेत्रों में है, इसलिए जब कभी नरमी आती है तो असर पड़ता है। अगर आप पिछला साल देखें तो भारतीय कंपनियों में हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा है। बीते 10 साल के दौरान हमने प्रतिस्पर्द्धियों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
अनिश्चित वृहद आर्थिक माहौल और तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य में TCS के लिए किस तरह का अवसर देखते हैं?
जब भी कोई नई तकनीक आती है तो कुछ लोग अंदाज लगाते हैं कि इससे भारतीय आईटी का पटाक्षेप हो जाएगा। मगर हर बार देसी आईटी उद्योग और तकनीकी प्रदाता ज्यादा मजबूत बनकर उभरते हैं और नई किस्म के समाधान लाते हैं। कुल मिलाकर मूल्यवर्द्धन लगातार बढ़ रहा है। हमें कौशल पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हमारी जरूरतें लगातार बदलती रहेंगी। इस मायने में हम मजबूत संगठन हैं क्योंकि हम कर्मचारियों को प्रशिक्षित करते हैं और नई तकनीक के लिए तैयार रहते हैं।
किस तरह की चुनौतियां हैं?
मुझे नहीं लगता कि कोई चुनौती है बल्कि हमारे सामने काम हैं। लोगों के विकास के साथ हमें कंपनी के अंदर इंजीनियरिंग की संस्कृति को जिंदा रखने की जरूरत है। असल में कुछ साल बाद लोग मैनेजर की तरह बरताव करने लगते हैं।
आपकी शीर्ष प्राथमिकता क्या होगी?
हमारा मुख्य ध्यान ग्राहकों से मिलने, उनकी समस्याओं को समझने और यह देखने पर रहेगा कि उनके लिए हम क्या कर सकते हैं। इसके अलावा हम अपने एसोसिएट्स से मिलेंगे। ग्राहक और एसोसिएट्स हमारे प्रमुख स्तंभ हैं। इनके बाद हमारी प्राथमिकताएं राजेश (गोपीनाथन) की तरह ग्राहकों को समझने की होंगी। हमारे पास 1,000 से अधिक सक्रिय ग्राहक हैं, जिनमें से 100 से 200 ग्राहकों से हमें सबसे अधिक आय होती है। हम इन ग्राहकों के साथ अपने संबंध और मजबूत बनाने पर ध्यान देंगे। इसके साथ ही एआई, क्लाउड, डेटा आदि में अपना विस्तार करना है और ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को इस तरह की सेवाएं मुहैया कराने पर जोर देना है। उन क्षेत्रों में भी विस्तार करना है जहां हमारी पहुंच कम है। इसके साथ ही हम भविष्य की टीम बनाने पर भी ध्यान देंगे।
हाल में TCS में संरचनात्मक बदलाव पर खूब चर्चा हुई है। क्या सीईओ के तौर पर आप कुछ और बदलाव की गुंजाइश देखते हैं?
ग्राहक को केंद्र में रखने की अवधारणा और इसी के आधार पर आईएसयू बनाने का काम 2008-09 में किया गया था, जो अब भी जारी है। राजेश ने आईएसयू में बदलाव कर इसे बिजनेस ग्रुप का नाम दिया था। इसे संरचनात्मक बदलाव से ज्यादा एकीकरण कहा जा सकता है। हम हमेशा सेवा, भौगोलिक क्षेत्र और डोमेन पर ध्यान देते हैं। ऐसे में चौथे आयाम के तौर पर आयात शामिल करने का अवसर है। उदाहरण के तौर पर कुछ बड़े ग्राहक हैं, जिनकी अलग तरह की जरूरते हैं और कुछ को वृद्धि पर ध्यान देने वाले नजरिये की दरकार है।
कंपनी के नतीजों की घोषणा के दौरान आपने कहा था कि जरूरत पड़ी तो आप कुछ बदलाव कर सकते हैं…
मैं ग्राहकों और एसोसिएट्स से मिलने जा रहा हं। उनके साथ बातचीत में अगर किसी चीज पर ध्यान देने की जरूरत होती है या कुछ अलग करने की दरकार होती है तो हम उस पर विचार करेंगे। हमारा प्रमुख काम टीम की चुनौतियों को दूर करना है।
बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के नतीजों पर अमेरिका में नरमी और बैंकिंग संकट का असर दिखा है। यह कितने समय पर बना रह सकता है?
मेरी राय में उत्तर अमेरिका में बैंकिंग की बुनियाद मजबूत है। मार्क-टु-मार्केट दबाव और बॉन्ड के मूल्य पर समस्या आई है, जिसका असर पड़ा है। चीन के कारण बीमा क्षेत्र में कुछ समस्या थी, लेकिन अब इसमें सुधार हो रहा है। मेरा मानना है कि चीजें पटरी पर आने के बाद वे भविष्य की परियोजनाओं पर निवेश शुरू कर देंगे क्योंकि तकनीक से प्रतिस्पर्द्धी लाभ मिलते हैं।
यह मानना सही है कि TCS में सीईओ का कार्यकाल छोटा हो रहा है?
मुझे नहीं लगता कि हमने ऐसी कोई योजना बनाई है। अगर राजेश इस्तीफा नहीं देते तो वह कुछ और साल अपनी सेवाएं दे सकते थे। चंद्रा (टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन) के साथ भी ऐसा ही था। मैं सीईओ के कार्यकाल पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
राजेश गोपीनाथन ने कहा है कि 2030 तक TCS की आय 50 अरब डॉलर हो सकती है। क्या आप सहमत हैं?
मुझे नहीं लगता कि हमने कोई लक्ष्य तय किया है। राजेश ने इतना कहा है कि हम समय के साथ इस स्तर पर पहुंच जाएंगे।