टाटा स्टील के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसकी वजह बेहतर जनसंख्या संरचना (डेमोग्राफिक), लगातार हो रहे ढांचागत सुधार, कम महंगाई और सरकार की ओर से मिल रही फिस्कल छूटें हैं।
उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती, पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी और टैक्स छूटों के चलते निजी निवेश और लोगों की खरीदारी क्षमता में इजाफा होगा। इसके चलते भारत 2026 तक दुनिया में सबसे ज़्यादा स्टील खपत वाला देश बन सकता है।
चंद्रशेखरन ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में वैश्विक स्टील उत्पादन 1.83 अरब टन पर स्थिर रहा। हालांकि, कोकिंग कोल (Coking Coal) की कीमतें कम थीं, फिर भी सप्लाई चेन में अनिश्चितता के चलते मुनाफे पर दबाव बना रहा।
इसके उलट, भारत का स्टील सेक्टर दुनिया के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। देश में कच्चे स्टील का उत्पादन सालाना आधार पर 4.7% बढ़ा और स्टील की खपत 10.2% बढ़ी। यह बढ़त मुख्य रूप से निर्माण, शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियों की वजह से हुई है।
टाटा स्टील ने भारत में शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी ने देशभर में अपनी फैक्ट्रियों को लगभग पूरी क्षमता पर चलाया और अब तक का सबसे ज्यादा कच्चा इस्पात उत्पादन किया, जो 21.7 मिलियन टन रहा। इस दौरान 20.9 मिलियन टन स्टील की डिलीवरी भी की गई। कंपनी ने ओडिशा के कलिंगनगर में देश का सबसे बड़ा ब्लास्ट फर्नेस (5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता) शुरू किया है, जो ₹27,000 करोड़ की फेज-2 विस्तार योजना का हिस्सा है। इसके अलावा, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) ने भी शानदार प्रदर्शन किया है। कंपनी ने ₹1,000 करोड़ का EBITDA दर्ज किया और सकारात्मक फ्री कैश फ्लो भी हासिल किया।
यूरोप में टाटा स्टील कम प्रदूषण वाले स्टील उत्पादन की दिशा में बड़े बदलाव कर रही है। यूके के पोर्ट टालबोट में दो पुराने ब्लास्ट फर्नेस को बंद कर दिया गया है और अब वहां नई इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) लगाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत जुलाई 2025 से होगी और इसके लिए यूके सरकार ने £500 मिलियन की सहायता दी है। इस बदलाव से कंपनी के फिक्स्ड खर्च में कमी आएगी और यह £762 मिलियन से घटकर £540 मिलियन हो जाएगा। वहीं, नीदरलैंड्स में कंपनी अपनी पूरी क्षमता के करीब काम कर रही है और धीरे-धीरे प्रदूषण रहित तकनीक की ओर बढ़ रही है। इसके तहत एक ब्लास्ट फर्नेस और एक कोक ओवन को 2030 तक बंद किया जाएगा। कंपनी डच सरकार के साथ मिलकर एक समझौते पर काम कर रही है और €500 मिलियन की लागत कटौती योजना भी शुरू की गई है।
टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टी. वी. नरेंद्रन और ईडी व सीएफओ कौशिक चटर्जी ने कहा है कि कंपनी आगे की ग्रोथ के लिए पूंजीगत खर्च (Capex), कामकाज में कुशलता और टिकाऊ विकास (Sustainability) पर ध्यान देती रहेगी।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में ₹6,200 करोड़ का कर्ज कम किया है, जिससे उसका कुल नेट डेब्ट घटकर ₹82,579 करोड़ रह गया है।
अधिकारियों ने कहा, “हम वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसी राह पर चलते रहेंगे। लागत में कटौती और ऑपरेशनल एफिशिएंसी के जरिए कैश फ्लो बेहतर बनाएंगे, ताकि कर्ज और घटाया जा सके।”