टाटा पावर अपने नवीकरणीय ऊर्जा कारोबार में आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियां दूर करने के लिए प्रमुख कलपुर्जों का व्यापक स्तर पर उत्पादन करने की संभावना तलाश रही है। इसके जरिये वह समूह की सभी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की जरूरतों को पूरा करेगी। यदि घरेलू जरूरत से ज्यादा विनिर्माण होता है तो उसका निर्यात (खास तौर पर अमेरिका को) भी किया जा सकता है।
गांधी नगर में आयोजित आरई-इन्वेस्ट कार्यक्रम से इतर टाटा पावर के वरिष्ठ प्रबंधन ने इसकी जानकारी दी।
वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए कि कंपनी अगले तीन साल में अपनी सोलर सेल और मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता को दोगुना करने की संभावना तलाशेगी। ऊर्जा भंडारण के लिए कंपनी की योजना बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में निवेश करने की है, जिसे कंपनी खुद विकसित करेगी।
टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी प्रवीर सिन्हा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी प्रमुख कलपुर्जों को खरीदने के बजाय उसका विनिर्माण खुद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘पहले हम इसकी खरीद करते थे मगर अब लागत कम करने के लिए हम उसे खुद बनाएंगे, जिससे दक्षता तथा गुणवत्ता में भी सुधार होगा। यह हमें आत्मनिर्भर बनाएगा और और कई बाहरी जोखिमों से भी बचाएगा।’
टाटा पावर के सीईओ प्रवीर सिन्हा ने कहा कि भू-राजनीतिक मुद्दों ने कंपनी की आपूर्ति श्रृंखला को खतरे में डाल दिया है और इस कदम से कंपनी को आपूर्ति में कमी, परिवहन संबंधी दिक्कतें, कीमत में उतार-चढ़ाव जैसे बाहरी समस्याओं से बचाने में मदद मिलेगी।
भारत में करीब 90 फीसदी सौर ऊर्जा परियोजनाएं आयातित कलपुर्जों-उपकरणों से बनी हैं। टाटा पावर सोलर विनिर्माण के क्षेत्र में उतरने वाली प्रारंभिक कंपनियों में से एक है। नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य क्षेत्रों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए कंपनी ने अब अपने सोलर विनिर्माण को बढ़ाने की योजना बनाई है। टाटा पावर रीन्यूएबल्स के प्रेसिडेंट और टाटा पावर रीन्यूएबल एनर्जी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ दीपेश नंदा ने कहा कि सोलर विनिर्माण क्षमता में व्यापक इजाफा दिसंबर 2024 तक होने की उम्मीद है।
नंदा ने कहा, ‘विनिर्माण के मोर्चे पर हमने अपने 4.3 गीगावाॅट मॉड्यूल विनिर्माण कारखाने को चालू कर दिया है और मॉड्यूल विनिर्माण की कुल क्षमता 4.9 गीगावाॅट हो गई है। इसके अलावा हमने अपना पहला 2 गीगावाॅट की सेल लाइन भी शुरू की है और दूसरी लाइन अक्टूबर में चालू होगी। दिसंबर 2024 तक सेल विनिर्मण क्षमता 4.9 गीगावाॅट की हो जाएगी।’
कंपनी के अधिकारियों ने संकेत दिए कि सोलर उपकरण विनिर्माण से मुख्य रूप से कंपनी और सहायक इकाइयों की जरूरतों को पूरा किया जाएगा और अपनी जरूरत से ज्यादा उत्पादन होने पर निर्यात की भी संभावना तलाशी जा सकती है। इसके लिए अमेरिका संभावित बाजार है।
नंदा ने कहा कि कंपनी के 6 कारोबारी इकाइयों के बीच तालमेल के साथ काम किया जा रहा है। इनमें सोलर सेल एवं मॉड्यूल विनिर्माण, ऊर्जा उत्पादन, बिजली क्षेत्र में ईपीसी, रूफटॉप सोलर, बिजली पारेषण और वितरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी 6 कारोबार तकरीबन पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।