सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने किफायती विमानन कंपनी स्पाइसजेट (Spicejet) को आज कहा कि वह कलानिधि मारन को मध्यस्थता अदालत के फैसले के मुताबिक 380 करोड़ रुपये की पूरी राशि का भुगतान करे और कहा कि कारोबार ‘व्यावसायिक नैतिकता’ के साथ किए जाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा के पीठ ने शीर्ष अदालत के 13 फरवरी के आदेश के तहत अपने पूर्व प्रवर्तक मारन की कल एयरवेज को 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए विमानन कंपनी द्वारा समय विस्तार की मांग वाले आवेदनों को खारिज कर दिया।
आदेशों का पालन नहीं करने पर भुगतने पड़ेंगे परिणाम
अदालत ने कहा कि अगर आदेशों का पालन नहीं किया जाता है, तो इसके परिणाम भुगतने होंगे, व्यावसायिक नैतिकता सुनिश्चित करने का यही एकमात्र तरीका है।
सर्वोच्च न्यायालय ने फरवरी में स्पाइसजेट को वर्ष 2018 के मध्यस्थता अदालत के फैसले के तहत तीन महीने के भीतर मारन के 362.49 करोड़ रुपये (साथ में बकाया ब्याज) के दावे के खिलाफ 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि स्पाइसजेट द्वारा भुगतान न किए जाने की स्थिति में फैसले की पूरी राशि कल एयरवेज और कलानिधि मारन को देय जाएगी।
इसके बाद स्पाइसजेट ने दो और महीने के लिए विस्तार की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था क्योंकि तीन महीने की अवधि 13 मई को समाप्त हो गई थी।
न्यायालय ने स्पाइसजेट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामला और कुछ नहीं, बल्कि स्पाइसजेट द्वारा पैसे नहीं चुकाने के लिए इसमें देर करने की रणनीति है।