रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि उसने और समूह की सभी सहायक कंपनियों ने शेयरों की बिक्री में सारे नियम कानूनों का पालन किया है और वे इस मामले की जांच में संबंधित अधिकारियों को पूरी जानकारी देकर सहयोग करेंगी।
मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह की रिलायंस पेट्रोलियम (आरपीएल) के 4.01 फीसदी शेयरों की जो बिक्री की गई थी, उसकी जांच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) कर रही है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने राज्यसभा में मंगलवार को बताया कि सेबी की ओर से कहा गया है कि इस पूरे मामले की जांच की जा रही है। आरपीएल के शेयरों में बड़े पैमाने पर भेदिया कारोबार के आरोप के बारे में सवाल पूछे जाने पर वित्त राज्य मंत्री ने इस बात की जानकारी दी।
गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से आरपीएल में 4.01 फीसदी हिस्सेदारी 4,023 करोड़ रुपये में बेच दी थी, जिससे इसकी सहयोगी कंपनी के शेयरों में काफी उछाल देखा गया था।यही वजह थी कि आरपीएल के शेयरों की कीमत नवंबर में 295 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच गई, जो इसकी अब तक की सर्वाधिक कीमत थी। हालांकि बाद में उसमें गिरावट देखी गई और मंगलवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज में यह 50 फीसदी गिरकर 152 रुपये तक पहुंच गया।शेयरों को बेचने के बाद आरपीएल में हिस्सेदारी 75 फीसदी से गिरकर 70.99 फीसदी तक पहुंच गई।
शेयरों की बिक्री के बारे में स्टॉक एक्सचेंज से पूछने पर बताया गया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से आरपीएल के शेयरों की बिक्री से आरपीएल के शेयरधारकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली है। उस समय आरपीएल के शेयरधारकों की संख्या 12 लाख से बढ़कर 16 लाख तक पहुंच गई।
उस समय ये अटकलें भी लगाई जा रही थी कि आरपीएल में शेव्रॉन कारपोरेशन की जो 5 फीसदी हिससेदारी है, उसे वह रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेच सकती है। दरअसल, ऐसा इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों की लिस्ट में बने रहने के लिए बाजार में जारी शेयरों की 25 फीसदी हिस्सेदारी कंपनी के पास होनी चाहिए।