रोजमर्रा का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों और उनके वितरक साझेदारों ने छोटे शहरों एवं ग्रामीण इलाकों में भर्तियां शुरू कर दी हैं क्योंकि इन बाजारों में मांग में सुधार लग रहा है। इन कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि रैंडस्टैट और टीमलीज जैसी कर्मचारी भर्ती करने वाली कंपनियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। एफएमसीजी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्तियों पर इसलिए जोर दे रही हैं क्योंकि वहां मांग में इजाफा हो रहा है।
मगर वाहन कंपनियां और डीलर इतने उत्साहित नहीं हैं। हालांकि मई में ट्रैक्टरों की बिक्री बढ़ी है मगर उनका कहना है कि वाहन क्षेत्र में कुशल कार्मिकों की जरूरत होती है, जबकि एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियां अद्र्ध-कुशल कामगारों को भर्ती करती हैं। वाहन कौशल विकास परिषद के अध्यक्ष निकुंज सांघी ने कहा, ‘एफएमसीजी कंपनियों को कुशल लोगों की जरूरत नहीं होती मगर वाहन डीलरों को कुशल लोग चाहिए। उन्हें किसी व्यक्ति को काम पर रखने लायक बनाने के लिए कम से कम दो-तीन सप्ताह खर्च करने पड़ते हैं।’
रैंडस्टैट इंडिया में स्टाफिंग ऐंड रैंडस्टैट टेक्नोलॉजिज के निदेशक येशब गिरि ने कहा, ‘लॉकडाउन हटने के बाद पिछले महीने भर से हमें एफएमसीजी कंपनियां ग्रामीण इलाकों में बिक्री एवं वितरण कार्यों के लिए नियुक्तियों की जिम्मेदारी सौंप रही हैं।’
विशेषज्ञों का कहना है कि एफएमसीजी कंपनियों की नियुक्ति में रुचि कहीं न कहीं पिछले दो महीने में कामगारों के गांवों में लौटने और सरकार के मई में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए धन आवंटन में बढ़ोतरी करने से भी जुड़ी हुई है। इन सब घटनाक्रमों से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढऩे की उम्मीद है। इससे कंपनियों को ऐसे समय अपनी बिक्री का कुछ हिस्सा वापस हासिल करने की उम्मीद है, जब पूरा एफएमसीजी बाजार कमजोर है। एफएमसीजी उद्योग की एक-तिहाई बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों में होती है। वहीं वाहन क्षेत्र की 20 फीसदी मांग भी ग्रामीण बाजार से आती है। इन वाहनों में ट्रैक्टर, मोटरसाइकल, वाणिज्यिक वाहन आदि शामिल हैं। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘ग्रामीण इलाकों से ओरल केयर और हेल्थकेयर उत्पादों की मांग आ रही है। डाबर रेड टूथपेस्ट, हाजमोला कैंडी, शहद और च्यवनप्राश जैसे उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है।’
मारुति सुजूकी इंडिया के कार्याधिकारियों ने कहा कि हाल-फिलहाल नई नियुक्तियां नहीं करेगी। कंपनी के कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमारे पास ग्रामीण बिक्री के लिए पहले ही कर्मचारियों की बड़ी टीम है, इसलिए नई भर्तियों की जरूरत शायद ही पड़े क्योंकि हमारी बिक्री इस समय उतनी नहीं है, जितनी पिछले साल थी।’ हीरो मोटोकॉर्प के प्रवक्ता ने भी कहा कि कंपनी निकट भविष्य में भर्तियां करने के बारे में विचार नहीं कर रही है।
