देश में महिला मकान खरीदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। महिलाओं द्वारा मकान खरीदने की संख्या में बढ़ोतरी पुरुषों द्वारा मकान खरीदने की संख्या में बढ़ोतरी से अधिक है। महिलाओं द्वारा अकेले मकान खरीदने की संख्या में वृद्धि के कारण संयुक्त रूप से मकान खरीदने की हिस्सेदारी और संख्या में गिरावट आई है।
महिलाओं ने 2024 में कितने मकान खरीदे?
Square Yards’ की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में पुणे, ठाणे, मुंबई, नवी मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों में महिलाओं ने 1.29 लाख मकान खरीदे, जो 2023 में खरीदे गए 1.14 लाख मकान से 14 फीसदी ज्यादा थे। पुरुषों ने पिछले साल 2.18 लाख मकान खरीदे, जो 2023 में उनके द्वारा खरीदे गए 1.96 लाख मकान से 11 फीसदी अधिक थे। इन आंकड़ों से जाहिर है 2024 में महिलाओं द्वारा खरीदे गए मकानों में वृद्धि पुरुषों की तुलना में अधिक रही।
इसी तरह कुल मकानों की खरीद में महिलाओं की हिस्सेदारी 20 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी हो गई। पुरुष खरीदारों की हिस्सेदारी भी 35 फीसदी से बढ़कर 38 फीसदी हो गई। लेकिन इस दौरान महिला और पुरुषों द्वारा संयुक्त रूप से खरीदे गए मकानों की संख्या में 7 फीसदी गिरावट और इनकी कुल बिक्री में हिस्सेदारी 45 फीसदी से घटकर 40 फीसदी रह गई। 2024 में मकानों की कुल बिक्री 5.77 लाख रही।
महिला मकान खरीदारों की संख्या बढ़ने की क्या है वजह?
महिलाओं द्वारा मकान खरीदने की संख्या में अधिक वृद्धि सरकारी प्रोत्साहन, वित्तीय लाभ और डिजिटल प्रगति के संयोजन से प्रेरित है। कई राज्य सरकारें महिला खरीदारों के लिए 1 से 3 फीसदी की स्टाम्प ड्यूटी रियायतें और 0.5-1 फीसदी की कम पंजीकरण शुल्क की सुविधा दे रही हैं। इसके अतिरिक्त, प्रमुख ऋणदाता महिलाओं के लिए होम लोन की ब्याज दरों में 0.05 फीसदी की छूट प्रदान करते हैं।
साथ ही, धारा 80सी और 80 ईई के तहत कर लाभ वहनीयता को और बढ़ाते हैं, जिससे महिलाओं के लिए संपत्ति का स्वामित्व अधिक सुलभ हो जाता है।
स्क्वायर यार्ड्स की सीओओ और संस्थापक कनिका गुप्ता शोरी ने कहा, “जैसे-जैसे महिलाएं शिक्षा, कार्यबल में भागीदारी और वित्तीय स्वतंत्रता के माध्यम से अधिक सशक्त होती जा रही हैं, वे सभी उद्योगों में निर्णय-निर्माता और प्रभावशाली उपभोक्ता के रूप में उभर रही हैं और इसमें रियल एस्टेट कोई अपवाद नहीं है। इसलिए 2024 में महिलाओं के अकेले मकान मालिक बनने में शीर्ष शहरों में सालाना 14 फीसदी वृद्धि हुई है, जबकि पुरुषों के मामले में यह वृद्धि महिलाओं से कम 11 फीसदी दर्ज की गई।”