नीतिगत दरें लगातार बढ़ने के बीच रियल एस्टेट कंपनियों को अपनी परियोजनाओं की वित्तीय लेखाबंदी (फाइनैंशियल क्लोजर) में चुनौतियां पेश आती दिख रही हैं। समझा जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) बैठक के दौरान ब्याज दरें एक फिर बढ़ा सकता है।
विश्लेषकों को लगता है कि खुदरा महंगाई में तेजी के बीच RBI अप्रैल में ब्याज दरों में 25 आधार अंक का इजाफा कर सकता है। इस साल जनवरी में खुदरा महंगाई तीन महीने के निचले स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। ज्यादातर डेवलपरों के लिए उधारी लेना पिछले एक साल में 100-150 आधार अंक तक महंगा हो गया है।
इस बारे में एक प्रॉपर्टी डेवलपर ने कहा, रीपो रेट (Repo Rate) में एक बार और बढ़ोतरी हुई तो हमें सारी चीजों पर फिर से विचार करना होगा। हमें जायदाद की बिक्री बढ़ाने के लिए नए सिरे से प्रयास करना होगा। अगर ब्याज दरें 10 प्रतिशत तक पहुंच गईं तो घर खरीदार का उत्साह थोड़ा कमजोर पड़ सकता है। हमारे लिए भी दरें बढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल को देखते हुए फाइनैंशियल क्लोजर पूरी होने में कुछ अड़चन आ सकती है।
डेवलपर ने कहा, जब मैंने छह महीने पहले ऋण का प्रस्ताव भेजा था तो उस समय सीमेंट की कीमतें 300 रुपये प्रति बोरी थीं और अब ये बढ़कर 450 रुपये प्रति बोरी हो गई हैं। ऐसे में बैंक भुगतान करने की हमारी क्षमता के बारे में जरूर पूछेंगे। हमें सब कुछ नए सिरे से सोचना होगा।
टाटा रियल्टी के प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारी संजय दत्त इस बात से सहमत हैं। दत्त कहते हैं, निर्माण पर व्यय बढ़ने, कारोबार पर लागत बढ़ने, अनुपालन की कड़ी शर्तों और महंगाई एवं ब्याज दरों के बढ़ने के बीच हमारे लिए प्रतिफल कम होकर एक अंक में रह गया है। परियोजना की अवधि के दौरान आर्थिक हालात में बदलाव और किसी तरह के व्यवधानों से हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
जानकारों के अनुसार कोविड महामारी से पूर्व आवासीय परियोजनाओं से 20-30 प्रतिशत प्रतिफल मिल रहा था, जो अब कम होकर मात्र 8-10 प्रतिशत रह गया है। हालांकि दत्त का कहना है कि जायदाद के लिए स्थान उम्दा हों और ढांचा आदि ठीक ढंग से तैयार हुए हों तो इन जोखिमों से निपटा जा सकता है।
हीरानंदानी ग्रुप के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी कहते हैं, पिछले महीने तक जायदाद की बिक्री अच्छी चल रही थी। अगर बिक्री मंद पड़ती हौ तो इससे हमारी परियोजनाओं के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टैंट्स के वरिष्ठ निदेशक एंव शोध-प्रमुख प्रशांत ठाकुर का कहना है कि आवास ऋण (Home Loan) महंगा होने से मकानों की बिक्री पर असर पड़ सकता है। ठाकुर कहते हैं, ज्यादातर खरीदार आवास ऋण लेकर घर खरीदते हैं। मगर आवास ऋण अब महंगा हो रहा है इसलिए वे अब पहले की तरह घर खरीदने का उत्साह शायद बनाए नहीं रख पाएंगे।
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हालांकि कुछ डेवलपर इस तर्क से सहमत नहीं हैं। ब्रिगेड एंटरप्राइजेज की पवित्रा शंकर कहती हैं, अच्छी बिक्री के कारण हमें बैंकों को ऋण चुकाने में कोई परेशानी नहीं आ रही है। हमें नहीं लगता कि आवास ऋण या अन्य लागत बढ़ने से कारोबार पर किसी तरह का असर होगा। उन्होंने कहा कि इन दिनों अमेरिका में आर्थिक सुस्ती और कर्मचारियों की छंटनी के असर के साथ जोड़कर देखें तो ब्याज दरें लगातार बढ़ने से कुछ दिक्कतें जरूर आ सकती हैं।
श्रीराम प्रॉपर्टीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुरली मलयप्पन का कहना है कि बड़ी कंपनियो के लिए फाइनैंशियल क्लोजर कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। हालांकि मलयप्पन के अनुसार उधारी दरें बढ़ना जरूर चिंता का विषय है जो पिछले एक वर्ष में 100-150 आधार अंक तक बढ़ चुकी हैं।