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पीरामल-कॉस्मिया रिलायंस कैपिटल की दौड़ से बाहर

Last Updated- December 20, 2022 | 11:40 PM IST
reliance

रिलायंस कैपिटल की परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए नीलामी शुरू होने से ठीक एक दिन पहले कॉस्मिया फाइनैंशियल होल्डिंग्स-पीरामल ग्रुप के गठजोड़ ने नीलामी में भाग लेने के लिए 6,500 करोड़ रुपये के ‘अनुचित’ नए आधार मूल्य का हवाला देते हुए बोली प्रक्रिया छोड़ दी है।

कॉस्मिया-पीरामल गठजोड़ ने रिलायंस कैपिटल के लिए सबसे अधिक बाध्यकारी बोली प्रस्तुत की थी, लेकिन ऋणदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक नीलामी के जरिये बेहतर प्रस्ताव हासिल करने का फैसला किया था। कॉस्मिया-पीरामल के अधिकारियों के अनुसार इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए बोली प्रक्रिया की रूपरेखा में काफी बदलाव किया गया है, जिससे इसकी आधारभूत बोली में 1,300 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया और इस तरह से यह 5,330 करोड़ रुपये की सर्वाधिक बोली से पार हो गई।

कोस्मिया-पीरामल के बाहर निकलने से दौड़ में केवल तीन कंपनियों ही बचीं हैं – हिंदुजा, टोरेंट और ओकट्री। इसके अलावा बोलीदाताओं ने कहा कि दूसरे और तीसरे दौर की नीलामी प्रक्रिया में बाद की वृद्धि भी 1,000 करोड़ रुपये (प्रत्येक) के बहुत ही अधिक स्तर पर निर्धारित की गई है।

बोलीदाता चौथे दौर के लिए 500 करोड़ रुपये और उसके बाद के हर दौर के लिए 250 करोड़ रुपये से भी नाखुश थे। इसका मतलब यह होगा कि जरूरी बोलियां कम से कम क्रमश: 7,500 करोड़ रुपये, 8,500 करोड़ रुपये, 9,000 करोड़ रुपये और 9,250 करोड़ रुपये होनी चाहिए। कोस्मिया-पीरामल ने कहा यह न केवल अनुचित रूप से अधिक और मनमाना है, बल्कि अव्यावहारिक भी है।

बोलीदाताओं की यह भी राय है कि सर्वाधिक बोलीदाता वाले की घोषणा न करना और प्रत्येक दौर के बाद बोलीदाताओं को रैंकिंग प्रदान न करने से यह नीलामी प्रक्रिया केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा स्पेक्ट्रम, सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र की नीलामियों में आयोजित ई-नीलामी के विपरीत है। पीरामल ग्रुप के एक सूत्र ने कहा कि उनकी/कॉस्मिया की 5,231 करोड़ रुपये की पेशकश अब भी वैध है और कानूनी रूप से बाध्यकारी है।

कोस्मिया-पीरामल गठजोड़ 5,231 करोड़ रुपये के कुल बोली मूल्य के साथ पूरी कंपनी के वास्ते रिलायंस कैपिटल के लिए सबसे बड़ा बोलीदाता था। इस पेशकश में 4,250 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी शामिल था। कोस्मिया-पीरामल की पेशकश का नेट प्रेजेंट मूल्य (एनपीवी) 5,000 करोड़ रुपये था। इस कंसोर्टियम में पीरामल की देनदारी सिर्फ रिलायंस जनरल इंश्योरेंस तक ही सीमित है।

दूसरी ओर हिंदुजा की 5,060 करोड़ रुपये की बोली, जिसमें 4,100 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान शामिल था, दूसरी सबसे अधिक बोली थी। हिंदुजा की पेशकश का एनपीवी 4,800 करोड़ रुपये था। टोरेंट और ओकट्री ने क्रमश: 4,500 करोड़ रुपये और 4,200 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। उन्होंने क्रमश: 1,100 करोड़ रुपये और 1,000 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान की पेशकश की थी।

First Published - December 20, 2022 | 8:05 PM IST

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