छोटे और मझोले आकार वाली दवा कंपनियां संशोधित अनुसूची एम के प्रावधानों का अनुपालन करने की तैयारी में जुटी हुई हैं। उन्हें 31 दिसंबर तक की समय सीमा मिली है। इसके भीतर इकाइयों को उन्नत करना और विनिर्माण की अच्छी कार्य प्रणाली को बनाए रखना होगा। हालांकि फार्मा लॉबी समूहों ने तय सीमा के भीतर काम पूरा करने को लेकर संदेह जताया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 4 जनवरी को मसौदा अधिसूचना जारी की थी। इसमें औषधि और कॉस्मेटिक्स अधिनियम की संशोधित अनुसूची एम के अनुसार इकाइयों को उन्नत करने के लिए छोटी और मझोले आकार वाली (250 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाली) कंपनियों को एक साल के विस्तार का प्रस्ताव किया गया है। लॉबी समूह दो साल के विस्तार की मांग कर रहा था। लेकिन कई ने कार्यान्वयन पूरा करने के लिए इस अवसर के इस्तेमाल का फैसला किया है।
भारतीय औषधि विनिर्माता संघ (आईडीएमए) के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि संगठन ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की मदद से विभिन्न सदस्यों के लिए 20 से ज्यादा प्रशिक्षण कार्यक्रम किए हैं। फेडरेशन ऑफ फार्मा आंत्रप्रेन्योर्स (एफओपीई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश के जैन ने कहा कि इस कदम से सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की चुनौतियों की बात मानी गई है।
इससे उन्हें संसाधनों को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘हमने अपने सदस्यों से बिना किसी और विस्तार की उम्मीद किए एक साल के इस विस्तार का लाभ उठाते हुए बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन पूरा करने को कहा है।’ हितधारकों की टिप्पणियां जमा करने की सात दिन की अवधि शनिवार को समाप्त हो गई। अब इस सप्ताह मसौदा अधिसूचना को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। हालांकि फार्मा समूह अब भी स्वास्थ्य मंत्रालय से दो साल के विस्तार की मांग करेंगे।
जैन ने कहा, ‘हम दिसंबर 2026 तक दो साल के विस्तार के लिए सरकार को दोबारा पत्र लिखेंगे।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध एमएसएमई के प्रतिनिधि संगठन लघु उद्योग भारती के अधिकारी ने भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो उद्योग चैंबर ‘आवश्यकतानुसार’ काम करेगा।