बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिनटेक कंपनी पेटीएम (Paytm) आने वाले 2-3 वर्षों में साउंडबॉक्स उपकरणों के लिए 1.5 करोड़ नए ग्राहक जोड़ सकती है। हालांकि, इसमें यह भी स्वीकार किया गया है कि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक है, लेकिन पेटीएम को पहले स्थान पर होने का लाभ मिल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पेटीएम ऐसी पहली कंपनी थी जिसने अपने ग्राहकों को साउंड बॉक्स दिए थे और एक नया बाजार भी बनाया था। नतीजतन, पेटीएम को इससे काफी फायदा मिला और यह इस क्षेत्र में ऐसा करने वाली पहली कंपनी भी बन गई।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि साउंडबॉक्स के लिए 2.5 करोड़ मध्यम आकार वाले बाजार (एसएमई) और 1.5 से 1.7 करोड़ छोटे बाजार को लक्ष्य बनाया गया है।
बोफा की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि भारत में 4 से 4.5 करोड़ व्यापारी हैं और इनमें से 25 लाख बड़े कारोबारी हैं (जो बड़े बैंकों के साथ कारोबार करते हैं), 2 से 2.5 करोड़ कर देने वाले एसएमई है और 1.5 से 1.7 करोड़ छोटा कारोबार करने वाले एसएमई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साउंडबॉक्स क्षेत्र में पेटीएम का ‘फर्स्ट-मूवर एडवांटेज’ मायने रखता है क्योंकि एक के मालिक को आम तौर पर दूसरे की आवश्यकता नहीं होती है जब तक कि कारोबार बड़ा नहीं हो।
फिनटेक प्रमुख ने शुरुआत के बाद से अब तक 65 लाख से अधिक साउंडबॉक्स कारोबारियो को दिए हैं। चूंकि, पेटीएम ऐसा करने वाली पहली कंपनी है, लेकिन फोनपे और भारतपे जैसे प्रतिद्वंद्वी भी काफी आक्रामक हैं। फोनपे ने अब तक 20 से 22 लाख उपकरण दिए हैं जबकि भारतपे ने भी 8 से 9 लाख साउंडबॉक्स दुकानदारों को बांटे हैं।
प्रतिस्पर्धा न केवल फिनटेक कंपनियो से है बल्कि अब बैंकों से भी होने लगी है। एचडीएफसी, एसबीआई और इंड्सइंड भी अब इस क्षेत्र पर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन, बोफा का विश्लेषण बताता है कि बाजार ऐसा है कि इसमें दो-तीन खिलाड़ियों के साथ रहने की गुंजाइश है और उनका मानना है कि पेटीएम की वृद्धि जारी रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पहले हमने देखा कि कुछ प्रतिस्पर्धी कारोबारियों को लुभाने के लिए मुफ्त में साउंडबॉक्स बांट रहे थे, लेकिन फिर इसमें कमी आ गई क्योंकि किसी भी कंपनी के लिए ऐसा करना किफायती नहीं है।’
बेशक, साउंडबॉक्स ऐसा क्षेत्र है जहां पेटीएम को पहले निवेश करना होगा। हार्डवेयर की लागत के अलावा, पेटीएम इसके लिए रखे गए कर्मचारियों, रखरखाव लागत आदि पर भी भारी खर्च वहन करती है। कारोबारी इस उपकरण के लिए सदस्यता शुल्क के रूप में हर महीने करीब 100 रुपये देते हैं।