पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान होकर ग्राहक अब ईंधन की कम खपत करने वाली कारों की मांग कर रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में इस मांग में लगभग 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
अब ग्राहक आउटलेट्स पर पुरानी कारों की मांग कर रहे हैं। नैनो के लॉन्च होने के बाद इन गाड़ियों की मांग में कमी आई थी। लेकिन जैसे ही सरकार ने पेट्रोल के दाम 5 रुपये और डीजल के दाम 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए, वैसे ही यूज्ड यानी पुरानी कारों की मांग में भी इजाफा हो गया।
पुरानी कारें ज्यादातर उन ग्राहकों की पसंद होती हैं जो पहली बार कार खरीद रहे होते हैं। ये खरीदार सोच-समझकर ही कोई कार खरीदते हैं। पुरानी कारों के एक डीलर के मुताबिक पुरानी कारें खरीदने वाले ग्राहक गाड़ी खरीदते वक्त नई कार खरीदने वालो से ज्यादा देखभाल कर कार खरीदते हैं।
फजूलभॉय मोटर्स के निदेशक आरिफ फजूलभॉय ने कहा, ‘पेट्रोल- डीजल की कीमतें बढ़ने के बाद होंडा सिटी, अकॉर्ड, शेवरोले एवियो, फोर्ड फि एस्टा, मित्सुबिशी लांसर सेडिया जैसी मध्यम श्रेणी और हाई एंड की पुरानी कारों की कीमतों में 25-30 फीसदी की गिरावट आई है। लोग अब ईंधन की कम खपत करने वाली कारों की मांग कर रहे हैं। छोटी कारों की मांग के बढ़ने के कारण इन कारों की कीमतें भी बढ़ रही हैं।’
पुरानी कारों के एक और डीलर ने बताया, ‘ज्यादातर ग्राहकों को लगता है कि अगले साल पेट्रोल और डीजल के दाम और भी बढ़ सकते हैं। इससे बाजार में छोटी कारों का मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि इन कारों के दाम इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं।’
दरअसल पुरानी कार खरीदकर उसकी मरम्मत कराना नई कार खरीदने के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है। दो जेनरेशन के मॉडलों की नई कार और पुरानी कार की कीमतों में 20 से 50 फीसदी का अंतर होता है। हालत ये है कि 2000-01 के मॉडल आज लगभग 72,000 रुपये में मिल रहे हैं।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक इस वक्त बाजार होंडा सिविक, हुंडई इलांट्रा, फोर्ड फिएस्टा, मित्सुबिशी लांसर, टोयोटा कोरोला और होंडा सीआरवी, हुंडई टुस्कोन जैसी सी और डी श्रेणी की कारों से भरा पड़ा है। लेकिन आज ग्राहक इन कारों को पूछ ही नहीं रहे हैं।?बाजार में इनकी मांग कम है और आपूर्र्ति ज्यादा। इस वजह से इन कारों की कीमतों में कमी आने की पूरी आशंका है।
दरअसल मारुति की वैगन आर, जेन, ऑल्टो, स्विफ्ट, ओमनी और हुंडई की सैंट्रो और गेट्ज की सबसे ज्यादा मांग है। इन कारों का ईंधन औसत 14 कि लोमीटर प्रतिलीटर से 18 किलोमीटर प्रतिलीटर तक होता है। इसके उलट मिड सेगमेंट की कारों का औसत आम तौर पर 10 किलोमीटर प्रतिलीटर ही होता है।