पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने प्राकृतिक गैस के मूल्यों पर किरीट पारेख समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। समिति ने नवंबर, 2022 को अपनी सिफारिश दी थी।
कई अधिकारियों ने बताया कि इन सिफारिशों को शीघ्र ही कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इससे प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने की उम्मीद है। लिहाजा ऊर्जा क्षेत्र पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
अधिकारियों के मुताबिक अगले चार वर्षों के लिए स्पष्ट रूप से बाजार-संचालित प्राकृतिक गैस की मूल्य निर्धारण प्रणाली की सिफारिश की गई है।
समिति ने घरेलू प्राकृतिक गैस के लिए 6.5 डॉलर के एमएमबीटीयू (मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) के अधिकतम मूल्य और न्यूनतम मूल्य 4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की सिफारिश की थी। इस सिफारिश को बिना किसी बदलाव के स्वीकार कर लिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि नए मूल्य निर्धारण के फार्मूले में कच्चे तेल के 10 फीसदी दाम जोड़ने की सिफारिश स्वीकृत कर दी गई है लेकिन इसे वित्त मंत्रालय से स्वीकृति का इंतजार है।
समिति ने सिफारिश की थी कि भारत को प्राकृतिक गैस के लिए मुक्त और मार्केट आधारित मूल्य निर्धारित करने को अपनाना चाहिए और 1 जनवरी, 2027 तक पूर्ववर्ती सभी प्रतिबंधों को हटा देना चाहिए।
समिति ने अभी के लिए ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) और तेल एवं प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के गैस उत्पादन को न्यूनतम मूल्य पर बेचने के लिए कहा था।
हालांकि समिति ने दाम पर प्रति वर्ष 0.50 डॉलर की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। हालांकि नए और मुश्किल उत्खनन स्थलों से गैस उत्पादन का मूल्य निर्धारित करने के तंत्र में कोई सुझाव नहीं दिया गया था।
इसने यह भी कहा था कि राज्य संचालित कंपनियों के गैस उत्पादन को अंतरराष्ट्रीय हब – हेनरी (अमेरिका व मेक्सिको), अलबर्टा (कनाडा) और नैशनल बैलेंसिंग पाइंट (यूरोपियन यूनियन)और रूस के प्राकृतिक गैस की बैंचमार्किंग की जगह आयातित कच्चे तेल से जोड़ा जाना चाहिए।
यदि सरकार इस सिफारिश को स्वीकार कर लेती है तो दाम में भारी उतार-चढ़ाव कम हो सकता है।
हालिया भूराजनैतिक बदलावों के कारण दाम में खासा उतार-चढ़ाव हुआ था। इस मामले पर वित्त मंत्रालय के जवाब का इंतजार है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी साझेदारों से चर्चा पूर्ण हो चुकी है। सभी संबंधित मंत्रालयों और निकायों ने अपनी टिप्पणियां देने की प्रक्रिया पूरी कर ली हैं। वित्त मंत्रालयों से कुछ सिफारिशों पर जवाब का इंतजार है जो शीघ्र आने की उम्मीद है।’
नई मूल्य निर्धारण नीति को लागू करने के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति की जरूरत होगी। इसका कारण यह है कि पुराना मूल्य निर्धारण की नीति 31 मार्च, 2023 तक लागू है।
अधिक उत्पादन और मूल्य
देश में घरेलू उत्पादित प्राकृतिक गैस के हालिया मूल्य निर्धारण की समीक्षा के लिए समिति की गठन हुआ था। वर्तमान समय में सरकार ने राज्य संचालित ओएनजीसी और ऑयल के गैस उत्पादन का मूल्य निर्धारित कर रखा है।
प्राकृतिक गैस के उत्पादन में राज्य संचालित कंपनियों की हिस्सेदारी 80 फीसदी और यह करीब 91 बिलियन क्यूबिक मैट्रिक है।
मूल्य निर्धारण के इस नए तंत्र से प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादकों को फायदा मिलने की उम्मीद है। इसका कारण यह है कि उन्हें अपने उत्पादों के लिए उच्च दाम प्राप्त होगा। उम्मीद है कि इससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
मूल्य निर्धारण के नए फार्मूले से प्राकृतिक गैस के दाम अधिक पारदर्शी और समुचित होंगे। इससे ग्राहकों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि सरकार भारत में ऊर्जा मिक्स में गैस की वर्तमान हिस्सेदारी 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करने की उम्मीद है।
घरेलू स्तर पर इस्तेमाल होने वाली प्राकृतिक गैस में करीब 50 फीसदी आयात की जाती है और करीब 54.6 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस आयात की जाती है। हालांकि औद्योगिक उत्पादक जैसे उर्वरक निर्माताओं को प्राकृतिक गैस का अधिक मूल्य अदा करना पड़ सकता है।
पुराने उत्खनन स्थलों व मुश्किल ब्लॉक से तेल के उत्पाद का न्यूनतम मूल्य रिकार्ड ऊंचाई पर बढ़ने के कारण गैस मूल्य के फार्मूले और उपभोक्ताओं को उचित दाम मुहैया करवाने के लिए सितंबर 2022 में यह समिति गठित की गई थी।
समिति का कार्य वर्तमान मूल्य के तंत्र का मूल्यांकन करना और पारदर्शी व समुचित मूल्य की सिफारिशें करना था।