संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यदि विश्व को जलवायु आपदा को रोकना है तो राष्ट्रों को तेल और गैस के नए खोज व अभियानों को रोकना होगा और हालिया तेल व गैस भंडारों के विस्तार को रोकना होगा।
गुटेरेस ने जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल की संश्लेषण रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि जलवायु टाइम बम फूटने की ओर अग्रसर है लेकिन इसे समन्वित प्रयास की बदौलत रोका जा सकता है। उन्होंने जीवाश्म ईंधन की सब्सिडी की सब्सिडी को ऊर्जा संक्रमण में स्थानांतरित करने का आह्वान किया।
नई दिल्ली संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कुछ टिप्पणियों का स्वागत नहीं करेगा। इसका कारण यह है कि भारत ने नियमित रूप से पारंपरिक हाइड्रोकार्बन में निवेश की जरूरत पर बल दिया है ताकि संतुलित ढंग से ऊर्जा की जरूरतें पूरी की जा सकें। भारत 2030 तक तेल खोज का दायरा बढ़ाकर 10 लाख वर्ग किलोमीटर करने वाला है। केंद्र सरकार की योजना तेल शोधन क्षमता अगले 10 सालों में दोगुनी करके 45 करोड़ टन करने की है। सरकार के मुताबिक ऐसा करके ही घरेलू स्तर पर बढ़ती तेल की मांग को पूरा किया जा सकेगा और निर्यात बाजार की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।
जी20 पर नजर
गुटेरेस ने बीते साल जी-20 के समक्ष जलवायु एकजुटता संधि का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव में प्रमुख उत्सर्जकों को उत्सर्जन कम करने के लिए विशेष प्रयास करना था और संपन्न देशों को उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की मदद मुहैया करवानी थी। उन्होंने कहा कि सभी देशों को 2035 तक नेट जीरो विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए और शेष विश्व इस लक्ष्य को 2040 तक हासिल करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्था के नेता 2050 के जितना करीब हो, उतना इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हों।