नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Byju’s की पैरेंट कंपनी) के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) की याचिका खारिज कर दी है। यह याचिका नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी, जिसमें आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड (AESL) में शेयरहोल्डिंग की यथास्थिति बनाए रखने को कहा गया था।
NCLAT की दो सदस्यीय बेंच, जिसमें जस्टिस शरद कुमार शर्मा और तकनीकी सदस्य जतिंद्रनाथ स्वैन शामिल थे, ने कहा कि NCLT का आदेश ‘इंटरलॉक्यूटरी’ यानी अंतरिम प्रकृति का है और इसमें किसी पक्ष के अधिकारों पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि यह आदेश सहमति से पारित हुआ है, इसलिए इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है।
यह विवाद AESL में इक्विटी फंडिंग को लेकर है, जिसमें बायजूस की पैरेंट कंपनी TLPL की 25% हिस्सेदारी है। TLPL के RP ने NCLAT में यह कहते हुए अपील की थी कि 27 मार्च को NCLT चेन्नई बेंच ने AESL में शेयरहोल्डिंग की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, लेकिन उसके बावजूद उनकी हिस्सेदारी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
AESL ने इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जहां कोर्ट ने 8 अप्रैल को NCLT का आदेश रद्द कर केस को फिर से सुनवाई के लिए भेजा। इसके बाद 30 अप्रैल को NCLT में हुई सुनवाई के दौरान TLPL के वकील अभिनव वशिष्ठ ने कहा कि कंपनी की हिस्सेदारी को कम किया जा रहा है, AESL की संपत्तियों को गिरवी रखा जा रहा है और कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में बदलाव कर TLPL के हितों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
गर्मी की छुट्टियों और मामले की जटिलता को देखते हुए NCLT ने शेयरहोल्डिंग में कोई बदलाव न करने का अंतरिम सहमति आदेश जारी किया। TLPL के RP ने इसी आदेश को NCLAT में चुनौती दी, लेकिन ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह कोई अंतिम फैसला नहीं है और इसमें किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। इसलिए अपील को खारिज कर दिया गया।
यह फैसला Byju’s के खिलाफ चल रहे कई कानूनी मामलों में से एक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बायजूस से जुड़े मामलों पर सुनवाई के दौरान NCLT की कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाई है और सभी पक्षों को दो हफ्ते तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
इसके अलावा, अप्रैल में NCLAT ने BCCI और Byju’s के निवेशक ऋजू रवींद्रन के बीच हुए एक सेटलमेंट एग्रीमेंट को भी रद्द कर दिया था, जिससे यह संकेत मिला कि कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर गहराई से नजर रखी जा रही है।