कोविड-19 महामारी भारतीय कंपनियों पर मुसीबत का पहाड़ बनकर टूटी है और इसका सबसे बड़ा नुकसान विनिर्माण एवं जिंस कंपनियों को उठाना पड़ा है। पिछले कुछ अरसे में पहली बार ऐसा हुआ है कि बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एनबीएफसी और आईटी सेवा कंपनियों को छोड़कर देश की मुख्यधारा की बाकी कंपनियों को वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में इक_ा घाटा उठाना पड़ा है। महामारी की वजह से मार्च, 2020 में खत्म तिमाही में ऐसा ही हुआ है।
बैंक, एनबीएफसी, बीमा, ब्रोकरेज और तकनीकी कंपनियों के अलावा इन 1,002 सूचीबद्घ कंपनियों को जनवरी-मार्च तिमाही में करीब 2,700 करोड़ रुपये का कर पूर्व घाटा हुआ। 2018-19 की आखिरी तिमाही में इन्हीं कंपनियों ने 1.06 लाख करोड़ रुपये का कर पूर्व मुनाफा हासिल किया था और अक्टूबर-दिसंबर, 2019 में इनका कर पूर्व मुनाफा 1.05 लाख करोड़ रुपये था।
जनवरी-मार्च, 2019 के मुकाबले इन कंपनियों का कुल राजस्व भी इस बार करीब 9 फीसदी कम हो गया। पिछली बार राजस्व 13.53 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च, 2020 में खत्म तिमाही में 12.33 लाख करोड़ रुपये ही रह गया। राजस्व में इतनी गिरावट पिछली 18 तिमाहियों में पहली बार आई है। इससे पहले इन कंपनियों को 2014-15 में धातु एवं ऊर्जा कीमतों में तेज गिरावट की वजह से राजस्व और मुनाफे में में ऐसी चोट झेलनी पड़ी थी। धातु एवं खनन तथा ऊर्जा कंपनियों को उस वक्त ज्यादा चोट पड़ी थी। मगर इस बार की मंदी सभी को परेशान कर रही है। उदाहरण के लिए जनवरी-मार्च 2016 में इन सभी कंपनियों का कुल कर पूर्व मुनाफा उससे साल भर पहले के मुकाबले 24 प्रतिशत लुढ़क गया था, लेकिन उन्हें कुल मिलाकर घाटा हुआ था। मगर मार्च 2015 तिमाही में राजस्व में 9.4 प्रतिशत की कमी आई थी, जो ज्यादा बुरी थी।
इस साल मार्च में समाप्त तिमाही में वेदांत (15,269 करोड़ रुपये), इंडियन ऑयल (13,610 करोड़ रुपये), टाटा मोटर्स (9,312 करोड़ रुपये), अबान ऑफशोर (8,097 करोड़ रुपये) और भारती एयरटेल (7,010 करोड़ रुपये) को तगड़ा घाटा हुआ है। इन 1002 कंपनियों में एक तिहाई (333) कंपनियों (वित्त एवं तकनीकी खंड की कंपनियों को छोड़कर) को इस तिमाही में कर पूर्व नुकसान हुआ है और अन्य 37 प्रतिशत (373 कंपनियां) के कर पूर्व मुनाफे में मार्च, 2019 के मुकाबले सेंध लगी है। बाकी 300 कंपनियां जरा हटकर रहीं क्योंकि उनके मुनाफे में बढ़ोतरी हुई।
नमूने में शामिल सभी 1274 कंपनियों का कुल कर पूर्व मुनाफा मार्च, 2019 की तुलना में 81.2 प्रतिशत घटकर 27,000 करोड़ रुपये रह गया। कम से पिछले छह साल में भारतीय कंपनियों का यह सबसे कमजोर प्रदर्शन है। इसकी तुलना में इन कंपनियों का कर पूर्व मुनाफा जनवरी-मार्च, 2019 में 1.42 लाख करोड़ रुपये और अक्टूबर-दिसंबर, 2019 में 1.83 लाख करोड़ रुपये रहा था। अन्य आय और ऋणदाताओं को शुल्क से मिलने वाली आय समेत कंपनियों के संयुक्त राजस्व में पिछले साल की जनवरी-मार्च तिमाही के मुकाबले 5.1 प्रतिशत कमी आई और आंकड़ा 17.76 लाख करोड़ रुपये ही रह गया। कंपनी जगत के राजस्व में पिछले छह साल की यह सबसे बड़ी गिरावट रही। इसके मुकाबले दिसंबर, 2015 में समाप्त तिमाही में राजस्व 4.7 प्रतिशत फिसल गया था। विश्लेषक मान रहे हैं कि कंपनियों के राजस्व और उनके परिचालन एवं नियत खर्च में बढ़ते असंतुलन के कारण मुनाफे पर इतनी गहरी चोट लगी है। उदाहरण के लिए वित्त और आईटी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा बाकी कंपनियों का कुल परिचालन खर्च साल भर पहले की तिमाही के मुकाबले केवल 1.9 प्रतिशत कम था, जिसकी वजह से इस तिमाही में परिचालन मुनाफा या एबिटा 49.4 प्रतिशत चोट खा गया। वेतन, पारिश्रमिक, कच्चा माल और दूसरे खर्च परिचालन खर्च में ही शामिल होते हैं। साथ ही ब्याज और मूल्यह्रास जैसे तय खर्च बढ़ते गए। ब्याज पर खर्च में 9.2 प्रतिशत तथा मूल्यह्रास पर खर्च में 12.1 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई। इन्हीं वजहों से कंपनियों के बहीखाते में घाटा दर्ज हो गया।
