इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्मों से आज कहा कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीए) कानून, 2023 के अनुपालन के लिए तैयारी शुरू कर दी जाए। उन्होंने कहा कि गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी तकनीकी फर्मों को कानून लागू करने से पहले मोहलत चाहिए तो उन्हें उसकी उपयुक्त और ठोस वजह बतानी होगी।
डीपीडीए कानून लागू करने की रूपरेखा तय करने के लिए तकनीकी फर्मों, उद्योग निकायों और नीति एडवोकेसी समूहों के साथ आयोजित चर्चा में चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार अगले 4 से 6 हफ्ते में कानून लागू करने के लिए नियमों का मसौदा जारी कर देगी। उन्होंने कहा कि डेटा संरक्षण बोर्ड का गठन 30 दिन के अंदर किया जा सकता है।
नई व्यवस्था अपनाने के लिए सरकार चरणबद्धी तरीके से चलेगी। राज्य या केंद्र की सरकारी एजेंसियों, पंचायतों या एमएसएमई के पास डेटा के इस्तेमाल की तैयारी नहीं है, इसलिए उन्हें नई व्यवस्था अपनाने के लिए थोड़ा अधिक वक्त दिया जा सकता है। छोटी निजी इकाइयों और स्टार्टअप को भी ज्यादा मोहलत मिल सकती है।
चंद्रशेखर ने कहा कि आने वाले महीनों में सरकार कानून के कुछ प्रावधानों में स्पष्टता के लिए कम से कम 8 से 9 जरूरी नियम जारी कर सकती है। चंद्रशेखर ने कहा, ‘जिन कंपनियों को सामान्य डेटा सुरक्षा नियम (जीडीपीआर) से जोड़ा गया था, उन्हें नई व्यवस्था लागू करने में देर नहीं करनी चाहिए। लेकिन जहां भी जीडीपीआर से आगे कुछ करने की जरूरत होती है तो उन्हें बताना होगा कि नई व्यवस्था लागू करने के लिए उन्हें कितनी मोहलत चाहिए।
गैर-डिजिटल कंपनियों (विनिर्माण फर्में) को भी ज्यादा समय दिया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ई-केवाईसी जरूरतों को लागू करने के लिए ज्यादा मोहलत देने की मांग पर विचार करने के लिए तैयार है।
मगर सोशल मीडिया और डिजिटल सेवा प्लेटफॉर्म कानून का विवरण पता लगे बगैर इसके तत्काल अनुपालन की बात से चिंतित हैं। भारत में मेटा के सार्वजनिक नीति निदेशक (डेटा इकनॉमी ऐंड इमर्जिंग टेक) सुनील अब्राहम ने कहा, ‘जहां शर्तें दुनिया के दूसरे हिस्सों में लागू कानूनों में दी गई शर्तों की तरह ही हैं, वहां तो कानून लागू करने के लिए बड़ी मोहलत की जरूरत हमें शायद नहीं लगेगी।
मगर कुछ शर्तें या बाध्यताएं भारत के लिहाज से खास हैं और जिनके अनुपालन के लिए हम तीसरे पक्ष पर निर्भर हैं, वहां हमें लंबा समय लग सकता है।’ इंस्टैंट मेसेजिंग ऐप स्नैप के एक प्रतिनिधि ने कहा कि अधिसूचना के लिए समयसीमा को अंतिम रूप देते समय सरकार को अनुपालन संबंधी कुछ जरूरतों की तकनीकी जटिलताओं पर भी विचार करना चाहिए।