नई सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय उपभोक्ताओं की शिकायतें दूर करने के लिए उठाए गए कदमों पर ध्यान बरकरार रखेगा।
एक शीर्ष अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अपनी शुरुआती 100 दिन की योजना के हिस्से के रूप में सरकार एक मोबाइल ऐप्लिकेशन शुरू करने की योजना बना रही है ताकि उपभोक्ताओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे किसी भी डार्क पैटर्न को पहचानने में मदद मिल सके।’
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पिछले साल अक्टूबर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (आईआईटी-बीएचयू) के साथ मिलकर डार्क पैटर्न पकड़ने के लिए हैकथॉन-2023 पेश किया था ताकि इनोवेटिव ऐप और सॉफ्टवेयर आधारित सॉल्यूशन के लिए प्रोटोटाइप तैयार किया जा सके। यह ऐप पता कर सकेगा कि कोई ऑनलाइन पोर्टल एक या ज्यादा डार्क पैटर्न का उपयोग तो नहीं कर रही है।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हैकथॉन के दौरान जो मॉडल तैयार किए गए थे पहले उनका परीक्षण पहले किया जाएगा। हम सार्वजनिक तौर पर उन्हें लोगों के सामने रखेंगे जिससे कि इसे अंतिम रुप देन से पहले उपयोगकर्ता और कंपनियां इसके उपयोग का परीक्षण कर सकें।’
किसी भी प्लेटफॉर्म पर यूआई/यूएक्स (यूजर इंटरफेस/यूजर एक्सपीरियंस) इंटरैक्शन का उपयोग कर किसी भी भ्रामक डिजाइन पैटर्न के रूप में पेश करने को डार्क पैटर्न को कहा जाता है। वे उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने अथवा बरगलाने के लिए बनाए जाते हैं।
ऐसे डार्क पैटर्न अनुचित व्यापार व्यवहार में सहायता करते हैं और इन्हें उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है। अन्य एजेंडों के तौर पर उपभोक्ता मामलों का विभाग एक प्लेटफॉर्म बनाने की दिशा में भी काम करेगा, जो उपभोक्ताओं को मुकदमेबाजी से पहले उनकी शिकायतों को हल करने में मदद करने के लिए अधिकारियों के साथ संपर्क कराएगा।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने दो हफ्ते पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘हम मध्यस्थता के जरिये उपभोक्ताओं की शिकायतों को हल करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इससे शिकायतों के समाधान का समय करने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता आयोगों के बोझ भी कम होंगे। यह कंपनियों के लिए भी अधिक किफायती विकल्प होगा।’
उन्होंने कहा था, ‘हम उपभोक्ता हेल्पलाइन सेटअप को उन्नत और मजबूत करने तथा मामलों के निपटारे के लिए कानून या प्रौद्योगिकी के जानकारों का पैनल भी बना रहे हैं। यह मौजूदा एजेंट कॉल सिस्टम से कई गुना बेहतर होगा।’
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि शिकायतों को संतोषजनक तरीके से हल करने में मदद के लिए उपभोक्ता मामलों का विभाग ऐसे लोगों को चिह्नित करने के लिए राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय और भारतीय प्रबंध संस्थानों से भी संपर्क करेगा, जिन्हें हेल्पलाइन के पैनल में रखा जा सके।