facebookmetapixel
Stock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दवित्त मंत्री सीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, GST 2.0 के सपोर्ट के लिए दिया धन्यवादAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यानDividend Stocks: सितंबर के दूसरे हफ्ते में बरसने वाला है मुनाफा, 100 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड

बिजली कंपनियों की सूचीबद्धता जोर पकड़ेगी, छह इकाइयों ने रुचि दिखाई

केंद्रीय बिजली मंत्री एमएल खट्टर ने ऐलान किया कि राज्यों को लाभ देने वाली बिजली कंपनियों की सूचीबद्धता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए

Last Updated- May 19, 2025 | 11:40 PM IST
electricity consumption
प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्पादन, पारेषण और वितरण कंपनियों (जेनको, ट्रांसको और डिस्कॉम) सहित सरकारी स्वामित्व वाली बिजली कंपनियों की सार्वजनिक सूचीबद्धता में तेजी आने की उम्मीद है क्योंकि कम से कम छह कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश के साथ उनकी एक या अधिक कंपनियों की सूचीबद्धता पर बातचीत आगे बढ़ चुकी है।

मामले की करीबी जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कंपनी (जेटको) सबसे आगे है और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने से पहले का मसौदा तैयार कर रही है। छत्तीगढ़ ने केंद्रीय बिजली मंत्रालय के साथ हुई बैठक में दो कंपनियों – छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (सीएसजीपीएल) और छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीटीएल) की सूचीबद्धता का प्रस्ताव पेश किया है। हरियाणा पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (एचपीजीसीएल) को सूचीबद्ध करने का भी प्रस्ताव है।

केंद्र और राज्यों के बीच इसी साल बात शुरू हुई। केंद्रीय बिजली मंत्री एमएल खट्टर ने ऐलान किया कि राज्यों को लाभ देने वाली बिजली कंपनियों की सूचीबद्धता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वे अधिक राजस्व का सृजन कर सकें। दिल्ली में पिछले साल दिसंबर में राज्यों के बिजली मंत्रालयों के सम्मेलन में खट्टर ने कहा, ‘जिन राज्यों की अच्छा प्रदर्शन करने वाली जेनको या ट्रांसको या बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) हैं, उन्हें एक्सचेंज में सूचीबद्धता पर विचार करना चाहिए।’ खट्टर ने कहा, ‘सबसे पहले ट्रांसमिशन कंपनियां हो सकती हैं और उसके बाद बिजली उत्पादन कंपनियां हो सकती हैं। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की माली हालत आम तौर पर अच्छी नहीं रहती। इसलिए राज्यों को पहले उनकी स्थिति सुधारनी चाहिए और उसके बाद सूचीबद्ध कराने पर विचार करना चाहिए।’

बिजली क्षेत्र के एक विशेषज्ञ के मुताबिक डिस्कॉम को सूचीबद्ध कराना बड़ा मुश्किल है क्योंकि उनमें से ज्यादातर घाटे में हैं। मामले के जानकार व्यक्ति ने कहा, ‘डिस्कॉम के लिए समाधान निजीकरण या सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के कई मॉडल हो सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि ओडिशा ने सफलतापूर्वक निजीकरण किया है और बाकी राज्यों को भी उसका अनुसरण करना चाहिए। डिस्कॉम पर अभी कुल 6.84 लाख करोड़ रुपये कर्ज है और इनका कुल घाटा भी 6.46 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2023-24 में उन्हें 1 किलोवाट बिजली पर उन्हें आय से 21 पैसे ज्यादा खर्च होता है। केंद्र इसे शून्य पर लाने का प्रयास कर रहा है। उत्तर प्रदेश अपनी दो डिस्कॉम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को पीपीपी मॉडल पर निजी कंपनी को देने जा रहा है। टाटा पावर के एमडी व सीईओ प्रवीर सिन्हा ने पिछले हफ्ते इस अखबार को बताया था कि उनकी कंपनी की इन डिस्कॉम में रुचि है और निविदा की प्रक्रिया पर वह करीबी नजर रख रही है। टाटा पावर बिजली वितरण खंड में प्रमुख कंपनी है और यह दिल्ली व मुंबई के कुछ हिस्सों तथा समूचे ओडिशा में बिजली वितरण कर रही है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया कि कई राज्यों से बातचीत जारी है। आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने शुरू में दिलचस्पी दिखाने के बाद इरादा बदल लिया। आंध्र सरकार के अधिकारी ने बताया, ‘अभी आंध्र प्रदेश सूचीबद्धता की नहीं सोच रहा। केंद्र ने राज्य की कंपनियों से उनकी वित्तीय स्थिति पर बातचीत की है लेकिन आंध्र सरकार सूचीबद्ध कराने की बहुत इच्छुक नहीं है।’एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि राज्य कुल सूचीबद्ध कराने का विकल्प नहीं तलाश रहे। उन्होंने कहा, ‘कुछ राज्य मुद्रीकरण के अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। पारेषण कंपनियां इनविट (आधारभूत निवेश ट्रस्ट) पर भी विचार कर सकती हैं। अभी सोच यह है कि राज्य सरकारों की कंपनियों की मौजूदा परिसंपत्तियों का अधिकतम उपयोग किया जाए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए।’

तमिलनाडु जेनरेशन ऐंड ड्रिस्ट्रिब्यूशन कॉरपोरेशन के नेतृत्व वाली समिति ने 2023 में प्रस्ताव दिया था कि राज्यों को डिस्कॉम के लिए धन मुहैया कराने के नए तरीके खोजने चाहिए। समिति ने डिस्कॉम की ऊर्जा संपत्तियों और भूमि बैंक के मुद्रीकरण पर भी चर्चा की है।

First Published - May 19, 2025 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट