जेएसडब्ल्यू स्टील दो अंतरराष्ट्रीय कोकिंग कोयला परिसंपत्तियों में निवेश की घोषणा के बाद भी अपने तेजी से बढ़ रहे इस्पात व्यवसाय के लिए कच्चा माल सुनिश्चित करने की योजना के तहत एक चालू खदान की तलाश जारी रख सकती है। लेकिन शर्त यह है कि यह वाणिज्यिक और रणनीतिक रुप से ठीक होना चाहिए।
इस महीने की शुरुआत में जेएसडब्ल्यू स्टील ने एम रेस एनएसडब्ल्यू में 66.67 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा की थी। एम रेस एनएसडब्ल्यू ‘साउथ32 लिमिटेड’ के इलावरा मेटलर्जिकल कोल व्यवसाय को अधिग्रहित करने के लिए गठित संयुक्त उपक्रम में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी की मालिक है। शुरुआती निवेश 12 करोड़ डॉलर है।
इलावरा मेटलर्जिकल कोल एक प्रमुख कोकिंग कोयला परिचालन खदान है। इसकी परिसंपत्तियों में न्यू साउथ वेल्स (आस्ट्रेलिया) में एप्पिन और डेंड्रोबियम कोकिंग कोयला खदानें शामिल हैं। इन खदानों का कुल बिक्री योग्य भंडार करीब 9.9 करोड़ टन प्राइम हार्ड कोकिंग कोयला है।
जेएसडब्ल्यू स्टील में संयुक्त प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) जयंत आचार्य ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कोकिंग कोयला परिसंपत्ति में जेएसडब्ल्यू की स्वामित्व भागीदारी करीब 20 प्रतिशत होगी। इससे हमें 12 लाख टन प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोयला मिलेगा जिसे अपने इस्पात निर्माण परिचालन के लिए हम भारत लाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘यह प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोयले की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हमारी रणनीति का हिस्सा है जिससे हमें अन्य कोयले के मिश्रण में मदद मिलेगी।’ जेएसडब्ल्यू की मौजूदा कोकिंग कोयला जरूरत लगभग 1.4-1.5 करोड़ टन है। प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोयले की जरूरत करीब 50 लाख टन है। वित्त वर्ष 2031 तक भारत की क्षमता 5 करोड़ टन हो जाएगी। ऐसे में कुल कोकिंग कोयले की आवश्यकता 2.1-2.2 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी और प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोयले की जरूरत 65 लाख से 70 लाख टन होगी।
मई में जेएसडब्ल्यू स्टील के बोर्ड ने मिनास डी रिवूबो लिमिटाडा (एमडीआर) के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। एमडीआर मोजांबिक के टेटे प्रांत के मोआताइज बेसिन में प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोयला खदान परियोजना है। कंपनी के अनुसार यह वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी प्री-डेवलपमेंट स्टेज प्रीमियम हार्ड कोकिंग कोल परियोजनाओं में से एक है और इसमें 80 करोड़ टन से अधिक का भंडार है।
आचार्य ने कहा, ‘खदान में अच्छी संभावनाएं हैं। लेकिन इसे चालू होने में समय लगेगा। अभी जरूरी मंजूरियां मिलनी बाकी हैं। यह एक प्रमुख हार्ड कोकिंग कोल परिसंपत्ति भी है और इससे हमें इस ग्रेड में कोकिंग कोल का बड़ा हिस्सा सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।’