प्रमुख इस्पात कंपनी जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) की 1.25 करोड़ टन क्षमता वाली इस्पात परियोजना का निर्माण कार्य अधर में लटक गया है।
भूमि के अधिग्रहण को लेकर इस परियोजना में विलंब हो रहा है। परियोजना के निर्माण कार्य की तिथि को तीन बार पहले ही बढ़ाया जा चुका है। जेएसपीएल के अधिकारियों ने कलियाकाटा और संकरजंगा में अपने इस्पात एवं विद्युत संयंत्र के निर्माण कार्य के लिए 1 अप्रैल की तारीख तय की थी। लेकिन कुछ ग्रामीणों के विरोध के कारण इस पर काम शुरू नहीं किया जा सका।
जिले के अधिकारियों के मुताबिक जेएसपीएल अब तक 1750 एकड़ की सरकारी और निजी भूमि पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है और जल्द ही 445 एकड़ की अन्य सरकारी जमीन इसे सौंपे जाने की संभावना है। जिलाधीश और औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (इडको) के बीच एक लीज करार के तहत यह भूमि सौंपी जानी है। कंपनी को अपने विद्युत और इस्पात संयंत्रों के लिए 4400 एकड़ भूमि की जरूरत है।
अपनी अंगुल परियोजना पर करीब 1315 करोड़ रुपये का निवेश कर रही जेएसपीएल ने अपने 60 लाख टन की क्षमता वाले इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए नवंबर 2005 में राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कंपनी ने बाद में परियोजना के दूसरे चरण के तहत 65 लाख टन की क्षमता और जोड़ने की घोषणा की। इस तरह से इस परियोजना की प्रस्तावित क्षमता कुल 1.25 करोड़ टन है जो भारत में अब तक सबसे बड़ी है।
विलंब और खर्च में बढ़ोतरी से जूझ रही जेएसपीएल के अधिकारी परियोजना का निर्माण कार्य इस वर्ष मानसून से पहले शुरू करना चाहते हैं। अंगुल के जिलाधीश गिरीश एस. एन. ने बताया कि स्टाफ की कमी के बीच कंपनी को जरूरी भूमि सौंपे जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भूमि की खरीद में विलंब के लिए दो कारण हैं। इन कारणों में भूमि अधिग्रहण के लिए मुजावजा राशि को स्वीकृति नहीं मिलना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के कार्य को जल्द पूरा करने के लिए जिला प्रशासन कंपनी के अधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहा है।
कंपनी के अधिकारी प्रभावित गांवों के लोगों को पुनर्वास और उचित मुआवजा पैकेज का आश्वासन दे चुके हैं। जेएसपीएल की अंगुल परियोजना के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार झा ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ को बताया कि स्थानीय लोगों के आर्थिक हितों को ध्यान में रख कर कंपनी ने 50 करोड़ रुपये का सामुदायिक विकास पैकेज तैयार किया है।