तकनीकी क्षेत्र की निवेशक प्रोसस भारत में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) क्षेत्र में निवेश बढ़ा रही है। कंपनी का मानना है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद एआई संचालित स्टार्टअप की एक नई लहर दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल बाजारों में विकास के अगले चरण को गति देंगी। नीदरलैंड की इस फर्म ने भारत में स्विगी और मीशो जैसे कंपनियों में लगभग 9 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसने चार महीनों में एआई क्षेत्र में तीन निवेश किए हैं जिसमें एजुकेशन प्लेटफॉर्म अरिविहान और डेवलपर टूल कोडकर्मा शामिल हैं। प्रोसस एआई को अपनी भारतीय रणनीति का केंद्र बना रही है।
प्रोसस इंडिया में इन्वेस्टर ध्रुव गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें जमीनी स्तर पर जो दिख रहा है वह तकनीक की बिल्कुल अलग लहर है और यह वृहद आर्थिक चक्रों से अप्रभावित है। यह अर्थव्यवस्था में मोबाइल या क्लाउड कंप्यूटिंग की तरह फैलने जैसा है।’
निवेश की शुरुआत मई में स्टार्टअप फर्म डेक्कन एआई से हुई। यह स्टार्टअप गूगल तथा स्नोफ्लेक जैसी कंपनियों को 5 लाख से ज्यादा फ्रीलांसर नेटवर्क के माध्यम से एआई मॉडल ट्रेनिंग और मूल्यांकन के लिए उच्च-गुणवत्ता वाला डेटा प्रदान करती है। जुलाई में प्रोसस ने इंदौर की एआई-आधारित शिक्षण प्लेटफॉर्म
अरिविहान में निवेश किया जो छोटे-मझोले शहरों में स्कूली छात्रों को किफायती कोचिंग प्रदान करती है। हाल में प्रोसस और ऐस्सेल से बेंगलूरु की कोडकर्मा ने 25 लाख डॉलर जुटाए। गुप्ता ने कहा कि कई फाउंडर अब शुरुआत से ही वैश्विक बाजारों के लिए एआई कंपनियां बना रहे हैं।
लार्ज लैंग्वेज मॉडल की सुलभता ने बाधाओं को कम कर दिया है, जिससे ई-कॉमर्स, यात्रा और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में तेजी से नवोन्मेष हो रहा है।
गुप्ता ने एआई क्षेत्र में निवेश लक्ष्य का खुलासा नहीं किया मगर कहा, ‘हम आगे भी निवेश करेंगे। यह अगले साल भी काफी ज्यादा रहने की उम्मीद है।’ उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों का संकेत दिया। गुप्ता ने कहा, ‘मेरा मानना है कि सिलिकॉन वैली में जो कुछ भी हो रहा है, उससे इतर यहां अच्छा अवसर है।’ उन्होंने अरिविहान पर प्रकाश डाला जो भारत के छोटे-मझोले शहरों के छात्रों को लक्षित करने वाला स्टार्टअप है। टीम की भाषा का स्थानीयकरण जैसे कि हिंग्लिश मॉडल में प्रशिक्षण देना, शुरुआती दौर में उपयोगकर्ताओं की वृद्धि के लिए शानदार रही।
गुप्ता ने लार्ज लैंग्वेज मॉडल की तेजी से घटती लागत की ओर इशारा किया। मीशो और रैपिडो का हवाला देते हुए गुप्ता ने कहा कि कीमत के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को लक्षित करने वाली कंपनियां मुनाफे वाला मॉडल बना सकती हैं।
गुप्ता ने कहा, ‘छोटे शहरों में भी गुणवत्तापूर्ण समाधान के लिए लोग भुगतान करने के लिए तैयार हैं। अगर अरिविहान आगे भी अच्छा प्रर्शन करता है तो मुद्रीकरण अपने आप हो जाएगा।’भारत में एआई सौदों के लिए प्रोसस की प्रतिस्पर्धा टाइगर ग्लोबलन, पीक-15 और ऐस्सेल से है। प्रोसस का दावा है कि उसकी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त उसकी बैलेंस शीट से निवेश करने की क्षमता है जो स्टार्टअप संस्थापकों को फंडिंग चक्रों के दबाव के बिना धैर्यपूर्ण पूंजी और लचीलापन प्रदान करता है। प्रोसस अपनी निवेश वाली कंपनियों के संस्थापकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच बढ़ाने में भी मदद करती है। उदाहरण के लिए कोडकर्मा लैटिन अमेरिका और पूर्वी यूरोप में प्रोसस की उपस्थिति का लाभ उठा सकती है जबकि उन क्षेत्रों के सफल मॉडल भारत में नए अवसरों प्रदान कर सकते हैं। गुप्ता ने कहा कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए भारत का नियामकीय माहौल अनुकूल है, जिसमें सरकार का सर्थन नवोन्मेष और निवेश को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।