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5जी परीक्षण के औचित्य को लेकर अलग-अलग राय

Last Updated- December 12, 2022 | 5:08 AM IST

व्यापक 5जी परीक्षण की जरूरत को लेकर दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों और दूरसंचार कंपनियों में मतभेद है। दूरसंचार विभाग से करीब दो साल देर से मंजूरी मिलने के कारण उनकी राय कुछ ज्यादा ही अलग है। सरकार ने मंगलवार को दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों- एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट को दूरसंचार कंपनियों के साथ मिलकर 5जी परीक्षण करने की मंजू्री दे दी। इन दूरसंचार कंपनियों में भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, रिलायंस जियो और एमटीएनएल शामिल हैं। हालांकि चीनी कंपनियों हुआवे और जेडटीई को परीक्षणों से दूर रखा गया है।
एक दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनी के शीर्ष कार्याधिकारी ने कहा, ‘जून, 2019 में जब संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 100 दिनों में 5जी परीक्षण की मंजूरी का वादा किया था, उस समय दुनिया भर में केवल 26 ऑपरेटर किसी न किसी तरह की 5जी सेवा मुहैया करा रहे थे। इसका मतलब है कि उस समय तकनीक और स्पेक्ट्रम कुशलता के परीक्षण की जरूरत थी मगर अब उसका कोई औचित्य नहीं रह गया है।’
उनका कहना है कि वैश्विक मोबाइल आपूर्ति संघ (जीएसए) के इस साल अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक अब 133 देशों में 435 ऐसे ऑपरेटर हैं, जो 5जी या उसके परीक्षण पर निवेश कर रहे हैं। 68 देशों में 162 ऑपरेटर पहले ही 5जी मोबाइल सेवा शुरू कर चुके हैं। उनका तर्क है, ‘अब यह तकनीक पूरी तरह प्रमाणित है। इसका पहले से इस्तेमाल हो रहा है, जो पहले ही वहां वाणिज्यिक रूप से उपयोगी है। इसलिए परीक्षण की जरूरत नहीं है।’
नोकिया इंडिया के शीर्ष कार्याधिकारियों ने परीक्षणों पर सरकार के कदम का स्वागत किया मगर सार्वजनिक रूप से परीक्षण की जरूरत नहीं होने की राय जाहिर की है। कंपनी के विपणन एवं कंपनी मामलों के प्रमुख अमित मारवाह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ साक्षात्कार में कहा था, ‘पहले इसकी तुक थी, जब दुनिया भर में 5जी की शुरुआत हो रही थी। लेकिन अब यह प्रमाणित तकनीक है। भारत भी अमेरिका और यूरोप के समान बैंड – 3,500 मेगाहट्र्ज का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि मौजूदा परीक्षणों का इस्तेमाल भारत में उपयोगिता के हिसाब से हो।
यहां तक कि सेल्युलर ऑरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक एस पी कोछड़ ने भी स्वीकार किया कि उनके भी कुछ सदस्यों का मानना था कि परीक्षणों की जरूरत नहीं है, जबकि अन्य का अलग नजरिया था। इतना ही नहीं, सरकार दूरसंचार कंपनियों से कह रही है कि वे स्वदेश विकसित 5जीआई तकनीक (आईआईटी द्वारा बनाई गई) का भी परीक्षण करें। यह तकनीक अलग मानदंडों पर आधारित है, लेकिन उनका कहना है कि यह ग्रामीण भारत में 5जी के प्रसार के लिए उपयोगी है। हालांकि वैश्विक स्तर पर स्वीकृत 2जीपीपी के अलावा 5जी के दो मानदंडों को बढ़ावा देने का एयरटेल जैसी बड़ी दूरसंचार कंपनियों ने विरोध किया है।
मौैजूदा दूरसंचार कंपनियों ने कहा है कि इससे केवल नेटवर्क और मोबाइल डिवाइस की कीमतों में बढ़ोतरी होगी क्योंकि विनिर्माताओं को ये केवल भारत के लिए बनाने होंगे और उन्हें बड़े पैमाने पर उत्पादन कर लागत कम रखने का मौका नहीं मिल पाएगा। उनका यह भी कहना है कि अगर अलग मानदंड अपनाए गए तो भारत के लोग दूसरे देशों में अपने मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

First Published - May 5, 2021 | 11:37 PM IST

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