एनक्रिप्शन के बारे में नए नियमों के खिलाफ व्हाट्सऐप के अदालत जाने पर सरकार ने कहा है कि लोगों की निजता का वह पूरा सम्मान करती है मगर निजता सवालों या अंकुश से परे नहीं हो सकती। नए नियमों के तहत एंड टु एंड एनक्रिप्शन खत्म करना जरूरी है, जिसके खिलाफ व्हाट्सऐप दिल्ली उच्च न्यायालय चली गई है। सरकार ने जवाब में कहा है कि ऐसा जनहित में जरूरी है और अपराध को जन्म देने वाले संदेशों की शुरुआत करने वाले का पता लगाने के लिए भी जरूरी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी एवं विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज एक बयान में कहा कि न्यायिक आदेशों एवं कथनों में भी कहा गया है कि निजता के अधिकार समेत कोई भी मौलिक अधिकार ‘परम सिद्घांत’ नहीं है और जरूरत पडऩे पर उस पर बंदिशें लगाई जा सकती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘याद रखिए कि संदेश की शुरुआत करने वाले व्यक्ति का पता लगाने के लिए इन दिशानिर्देशों के नियम 4(2) के तहत ऐसा आदेश भारत की संप्रभुता, अखंडता एवं सुरक्षा, कानून व्यवस्था से संबंधित अपराध या बलात्कार, कामुकता बढ़ाने वाली सामग्री अथवा बच्चों के यौन शोषण से संबंधित अपराधों को बढ़ावा देने वाले अपराध रोकने, उनकी जांच करने एवं सजा देने के लिए ही दिया जाएगा। इसमें कम से कम पांच साल के लिए जेल की सजा होगी।’
व्हाट्सऐप ने नए आईटी नियमों का विरोध करते हुए आज ही उच्च न्यायालय में भारत सरकार को चुनौती दी। कंपनी की दलील है कि इस नियमों से व्यक्तियों की निजता में सेंध लगेगी। हाल मेंं अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 की धारा 4 (2) के अनुसार 50 लाख से अधिक यूजर्स वाली और मैसेजिंग सेवा प्रदान करने वाली सोशल मीडिया कंपनियों को देश का अहित करने वाली आपत्तिजनक सामग्री तैयार करने वाले व्यक्ति की पहचान जरूरी करनी होगी।