इंटरनेट टेलीफोनी को लेकर आज कल मुल्क के कारोबारी और तकनीकी हलकों में हंगामा मचा हुआ है। वजह है, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की इंटरनेट टेलीफोनी को कानूनी जामा पहनाने की सिफारिश।
अगर सरकार ने ट्राई की सिफारिश मान ली, तो इससे आप इंटरनेट के सहारे काफी कम कीमतों में ही कॉल कर पाएंगे। लेकिन देसी टेलीकॉम कंपनियां इस कदम का सख्त विरोध कर रही हैं।
क्या बला है यह?
इंटरनेट टेलीफोनी में इस्तेमाल होता है वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल का। इसमें आवाज को पहले बिजली की तरंगों में बदला जाता है। फिर इसे बदला जाता है डिजीटल तरंगों में, जिसे छोटे-छोटे डेटा पैकेट्स में तब्दील कर इंटरनेट के पैकेट स्विच्ड नेटवर्क के सहारे एक जगह से दूसरे जगह पर भेजा जाता है।
आपने मुल्क में अभी इसकी मदद से विदेशों में कॉल करने की इजाजत तो है, लेकिन इससे देश के भीतर मोबाइल या बेसिक फोन पर कॉल करना गैरकानूनी है।
फायदे ही फायदे
विश्लेषकों का कहना है कि इंटरनेट टेलीफोनी में कई सारे फायदे हैं, लेकिन इसका बड़ा फायदा यही है कि इसकी वजह से आपका फोन बिल काफी कम हो जाएगा। इसकी पहली वजह यह है कि इसमें आज की तारीख में काफी सारी बैंथविथ का अपने मुल्क में काफी कम इस्तेमाल हो रहा है। इसकी मदद से टेलीकॉम ऑपरेट्स स्विचिंग प्वाइंट्स को जोड़ते हैं। इससे उनकी लागत काफी कम हो जाती है।
खामियां भी हैं
इंटरनेट टेलीफोनी में कई लोगों की मानें तो इसमें खामियां भी कम नहीं हैं। पहली खामी तो यही है कि इसमें कई बार वॉयस पैकेट बीच राह में से ही गायब हो जाते हैं। साथ ही, अपने मुल्क में इस वक्त नेटवर्क में अक्सर जाम लगा रहते हैं।
वजह है, जरूरत से काफी कम बैंथविथ का होना। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खामी तो यह है कि अपने मुल्क में इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को आपकी कॉल को बेसिक या मोबाइल फोन से कनेक्ट करने के लिए उस कंपनी को मोटी रकम चुकानी पड़ेगी।