देश की प्रमुख एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का मानना है कि 22-23 फीसदी एबिटा अनुमान के साथ वह इस श्रेणी की गिनी-चुनी शीर्ष कंपनियों में शामिल है। एचयूएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रोहित जावा ने शार्लीन डिसूजा और देव चटर्जी के साथ कंपनी के निवेश सहित तमाम पहलुओं पर बात की। बातचीत के संपादित अंश:
क्या भारत में उपभोग और उपभोक्ता आय में कोई बुनियादी बदलाव हुआ है क्योंकि एचयूएल का वॉल्यूम और आय महज 2 फीसदी बढ़ी है जबकि अर्थव्यवस्था 6.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है?
अगर आप केवल एक तिमाही या एक साल देखेंगे तो बड़ी तस्वीर नहीं देख पाएंगे। पिछले दशक में एचयूएल की सालाना चक्रवृद्धि दर लगभग 8 फीसदी रही है और कंपनी के मुनाफे में भी सुधार हुआ है। यह वृद्धि वॉल्यूम और कीमत से प्रेरित रही है। यदि आप हमारी सभी श्रेणियों में प्रति व्यक्ति खपत को देखें तो वह पिछले 10 वर्षों में बढ़ी है। फिलहाल प्रति व्यक्ति औसत खपत 50 डॉलर है जो ग्रामीण क्षेत्रों में 25 डॉलर और शहरी क्षेत्रों में 100 डॉलर है। ये आंकड़े हमारे पड़ोसी देशों के मुकाबले 15 से 20 फीसदी हैं। हम शायद ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां कुछ वर्षों तक खपत में नरमी रह सकती है। हमें धैर्य रखना चाहिए क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है। सुधार की प्रक्रिया चल रही है लेकिन कुल मिलाकर निजी खपत अधिक होनी चाहिए थी। मेरा मानना है कि ब्याज दरों में कटौती, कर राहत, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों में कमी शहरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बेहतर मॉनसून का अनुमान ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। ग्रामीण क्षेत्र पहले से ही शहरी क्षेत्र के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है।
मार्जिन के बजाय वॉल्यूम पर ध्यान देने की एचयूएल की रणनीति का क्या मतलब है?
हमारा मार्जिन अच्छा है। अगली कुछ तिमाहियों के लिए हमारी प्राथमिकता वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश करना है। हमारा मानना है कि 22-23 फीसदी एबिटा अनुमान के साथ हम अभी भी उपभोक्ता पैकेज्ड उत्पाद श्रेणी में कुछ शीर्ष कंपनियों में से हैं। यह यूनिलीवर के औसत से अधिक ही है। यह एक अच्छा, लाभदायक कारोबार है जो तेजी से बढ़कर अच्छा प्रदर्शन करेगा। हमारे पास अपने कारोबार में निवेश करने की पर्याप्त क्षमता है।
आपने बाजार में निवेश करने के लिए क्या योजना बनाई है?
आय और मुनाफा निवेश को प्रेरित करते हैं। निवेश के तीन बड़े तरीकों में से एक है व्यापार में निवेश, चाहे वह हमारे वितरकों की मदद करना हो या वितरण का विस्तार करना हो। पिछली कुछ तिमाही में अधिक मूल्य योगदान देने वाले स्टोरों की हमारी सीधी पहुंच बढ़ी है। इसके लिए निवेश की आवश्यकता होती है लेकिन इससे अधिक वृद्धि होती है। निवेश का दूसरा तरीका उत्पाद की गुणवत्ता और उचित कीमत व गुणवत्ता समीकरण के लिए निवेश करना होता है। जिंसों के दाम में उतार-चढ़ाव हो रहा है, ऐसे में सही मूल्य तय करने की जरूरत होती है मगर हम कभी भी एकबारगी उत्पादों के दाम नहीं बढ़ा पाते हैं। लागत घटने की स्थिति में हम एक बार में इसका लाभ देना पसंद करते हैं। निवेश का तीसरा क्षेत्र मीडिया और एऐंडपी है।
उपभोक्ताओं की आय नहीं बढ़ रही है, ऐसे में आप मास कैटेगरी से ज्यादा उपभोक्ता कैसे बना पा रहे हैं?
हमें भारत को एक नहीं बल्कि कई भारत के रूप में देखने की जरूरत है। हर उपभोक्ता एक जैसा नहीं होता। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विभिन्न आय वर्ग को अलग-अलग समझें और उनके अनुसार प्रतिक्रिया दें। भारत में धनी लोगों में भी दो तरह का वर्ग है – संपन्न और अतिसंपन्न। इस श्रेणी के लोगों की आय 10 लाख रुपये और उससे अधिक है। पिछले पांच वर्षों में इनकी संख्या दोगुनी हुई है और आगे फिर इनके दोगुना होने की संभावना है। इस वर्ग के उपभोक्ताओं के पास क्रयशक्ति है। हमारे पास हर उपभोक्ता वर्ग के लिए उत्पाद है और हम सभी मूल्य पर अपग्रेडेशन का अवसर देने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं। हम बाजार के विकास में बहुत सोच-समझकर निवेश कर रहे हैं। हमने अपने पोर्टफोलियो में कई उत्पादों को मार्केट मेकर्स के रूप में पहचाना है।
आप और किन अन्य श्रेणियों में उतरने की संभावना तलाश रहे हैं?
हमारे पास आगे बढ़ने के बहुत सारे अवसर हैं। उदाहरण के लिए सौंदर्य एवं तंदुरुस्ती में ढेरों अवसर हैं, खास तौर पर प्रीमियम सेगमेंट में। हाल के कुछ महीनों में हमने नेक्सस और लिक्विड आई वी लॉन्च किए हैं जो वैश्विक ब्रांड हैं। लिक्विड आई वी के साथ हमने हाइड्रेशन सेगमेंट में और नेक्सस के साथ सलोन केयर और मसाज सेगमेंट में पहुंच बढ़ाई है।
आइसक्रीम कारोबार कैसा चल रहा है?
हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक आइसक्रीम व्यवसाय को अलग करके सूचीबद्ध करा दिया जाएगा। यह एक स्वतंत्र इकाई होगी जो अपना भविष्य खुद तय करेगी।
क्या आप लाइफबॉय और ग्लो ऐंड लवली के बाद अन्य ब्रांडों में भी सुधार की सोच रहे हैं?
हम हॉर्लिक्स में ऐसा कर रहे हैं मगर अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है। हमारे सभी बड़े मुख्य ब्रांड को नया रूप दिया गया है। हमारा ध्यान अपने मुख्य ब्रांड को सुरक्षित और समय के मुताबिक बनाए रखने पर है। जहां वृद्धि होगी हम वहां निवेश करेंगे।
वितरण चैनल किस प्रकार बदल रहे हैं?
आधुनिक व्यापार, ई-कॉमर्स जैसे संगठित माध्यम में हम देख सकते हैं कि क्विक कॉमर्स तेजी से बढ़ रहा है। छोटे शहरों में भी क्विक कॉमर्स अपनी पहुंच बढ़ा रहा है और ई-कॉमर्स भी अपना विस्तार कर रहा है। इसके बावजूद भारत में बिक्री के पारंपरिक माध्यम का दायरा काफी व्यापक है। आज के समय में भी कुल बिक्री में पारंपरिक चैनल का योगदान करीब 70 फीसदी है और यह हमारे कारोबार का केंद्र बना हुआ है। इसलिए किराना केंद्रित वितरक मॉडल हमारी प्राथमिकता है।