उत्तर प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के योगी आदित्यनाथ सरकार के लक्ष्य को बड़ा बल देने के इरादे से चालू वित्त वर्ष में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण 5.73 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाए जाने का अनुमान है। यह साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2023-24 के 3.75 लाख करोड़ रुपये के उधारी आंकड़े के मुकाबले 50 फीसदी अधिक है।
राज्य सरकार का अनुमान है कि प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कृषि क्षेत्र में 250 फीसदी, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में 300 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 450 फीसदी वृद्धि की आवश्यकता है। इसके लिए बैंकों को राज्य के भीतर ऋण-जमा अनुपात में सुधार लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में 2017 में यह अनुपात 47 फीसदी था, जो 2023-24 में बढ़कर 60 फीसदी हो गया। योगी सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के अंत तक इसे 65 फीसदी करने का है। ऋण-जमा अनुपात जितना अधिक होता है, उद्योग के लिए तरलता और धन की उपलब्धता भी उतनी ही अधिक होती है।
इस बीच राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए तैयार स्टेट फोकस पेपर 2024-25 के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र को 2.46 लाख करोड़ रुपये और एमएसएमई क्षेत्र को 2.92 लाख करोड़ रुपये के कर्ज हासिल होंगे। इस तरह कृषि के लिए ऋण में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 6 फीसदी इजाफा हो जाएगा। एमएसएमई को 2023-24 में 1.05 लाख करोड़ रुपये का ही ऋण हासिल हुआ था, इसलिए इस वित्त वर्ष में उसे 178 फीसदी अधिक ऋण मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश को निवेश का पसंदीदा ठिकाना बनाने और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों को ऋण-जमा अनुपात सुधारने का जिम्मा दिया गया है। इसके तहत आए निवेश के आधार पर ही संभाग आयुक्तों और जिलाधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में टिप्पणी की जाती है। कारोबारी माहौल सुधरने और उद्योग के अनुकूल रुख बढ़ने के कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में ऋण जमा अनुपात बढ़ा है।
औद्योगिक विकास के साथ तालमेल बिठाते हुए राज्य ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में भी खासी प्रगति की है, जिससे ऋण वृद्धि तेज हो रही है। कम ऋण जमा अनुपात वाले क्षेत्रों में जिलाधिकारी और आयुक्त को निवेश रणनीति तैयार करने के लिए कहा गया है। सरकार राज्य में संस्थागत ऋण को बढ़ावा देने के लिए कृषि, एमएसएमई, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों को भी उत्साहित कर रही है। एमएसएमई का प्रदेश के कुल औद्योगिक उत्पादन में 60 फीसदी और निर्यात में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये योगदान है। निर्यात को 2-3 वर्षों में दोगुना किया जाएगा।
कृषि में रोजगार सृजन के लिए प्रदेश सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित 1,000 स्टार्टअप तैयार करने की घोषणा की है। ये स्टार्टअप कृषि उत्पादन, मार्केटिंग, पैकेजिंग, प्रोसेसिंग और भंडारण पर ध्यान देंगी ताकि ग्रामीण आय बढ़ाई जा सके। राज्य ने कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को मजबूती देने तथा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) एवं डेटा एनालिटिक्स पर आधारित आधुनिक सॉल्यूशन्स का फायदा उठाने के लिए इंटरनैशनल फाइनैंस कॉरपोरेशन (आईएफसी), विश्व बैंक जैसी संस्थाओं और गूगल जैसी वैश्विक दिग्गजों के साथ करार किया है।
इन सभी पहलों से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के करीब 10 लाख मौके तैयार होने की संभावना है। राज्य कृषि-स्टार्टअप को जबरदस्त बढ़ावा दे रहा है और प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए स्मार्ट खेती तथा डिजिटल कृषि के जरिये खेती-बाड़ी को भी एआई से जोड़ रहा है।