मछली पालकों को मिलने वाली झींगा मछली की कीमतें पिछले एक हफ्ते में 6 से 19 प्रतिशत तक फिसल चुकी हैं। कारोबारियों एवं जानकारों ने कहा कि भारत से होने वाले निर्यात पर भारी अमेरिकी शुल्क लगने की आशंका से झींगा मछली की कीमतें गिरने लगी थीं और पिछले दो दिन में इनमें सबसे ज्यादा गिरावट आई है। दाम गिरने से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के झींगा पालकों को ज्यादा नुकसान हो सकता है क्योंकि इन दोनों र्जायों में झींगा मछली का उत्पादन प्रमुख व्यवसाय है।
भारत आम तौर पर अमेरिका को 50 काउंट या उससे भी कम काउंट वाले झींगे निर्यात करता है। 50 काउंट का मतलब 20 ग्राम की झींगा मछली है, जो 1 किलोग्राम में 50 चढ़ जाती है। बड़े काउंट यानी कम वजन वाली झींगा मछली मुख्य रूप से चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, जापान और अन्य एशियाई बाजारों में भेजी जाती हैं। इनमें 100, 90, 80, 70 और 60 काउंट की झींगा मछली होती है।
इन सभी के दाम गिर गए हैं। व्यापारियों और निर्यातकों से मिले आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका को निर्यात की जाने झींगा मछली की सबसे आम किस्म (40 काउंट) की औसत कीमत पिछले एक सप्ताह में लगभग 19 प्रतिशत गिरकर 365 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है। कुछ व्यापारियों ने कहा कि झींगे से बनने वाले चारे और दाने के दाम भी कम हो गए हैं क्योंकि आंध्र जैसे कुछ राज्य चाहते हैं कि इस तरह का चारा बेचने वाली कंपनियां झींगा पालकों का डर दूर करने के लिए कीमत घटाएं।
निर्यातकों का कहना है कि 50 प्रतिशत शुल्क लगने के बाद भारत की झींगा मछली इक्वाडोर, इंडोनेशिया, वियतनाम और चीन के मुकाबले महंगी हो जाएंगी। यह बात व्यापारियों को नागवार गुजर रही है। उनका कहना है कि इतने ऊंचे शुल्क से 24-25 हजार करोड़ रुपये का कारोबार दांव पर लग जाएगा। उन्हें लगता है कि जब तक नए बाजारों की तलाश नहीं की जाती है या देसी बाजार मजबूत नहीं होता है तब तक झींगा पालकों को मिलने वाली कीमतें और भी गिर सकती हैं।
एक वरिष्ठ उद्योग अधिकारी ने कहा ‘झींगे का व्यापार आम तौर पर 90 से 120 दिन में पूरा हो जाता है, जिसमें 30-40 दिन हैचरी में ही निकल जाते हैं। एक बार झींगे के बीज इकट्ठे हो गए तो किसान को पूरी प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ता है। इनका उत्पादन बीच में छोड़ने की संभावना न के बराबर होती है।’ भारत हर साल दुनिया को करीब 60-62 हजार करोड़ रुपये के समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जिनमें लगभग 40 प्रतिशत अमेरिका को ही जाते हैं। भारत से होने वाले समुद्री उत्पाद में मात्रा के लिहाज से 41 प्रतिशत और कीमत के हिसाब से 66 प्रतिशत हिस्सा झींगा मछली का ही है।